चौंकाने वाला बयान: उद्धव ठाकरे सरकार पर मंडराया संकट, मंत्री बाला साहेब बोले- सरकार कितने दिन चलेगी

महाराष्ट्र: 13 जनवरी: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं, जी हाँ। उद्धव कैबिनेट में राजस्व मंत्री और और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ने चौंकाने वाला बयान देकर सबको हैरान कर दिया।

महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री बाला साहेब थोराट ने कहा की, यह सरकार कितने दिन चलेगी, इसका पता नहीं है, बालासाहेब के बयान से साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है की उद्धव ठाकरे सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है।

महारष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार बनने के बाद से ही कहा जा रहा है की ये बेमेल गठबंधन है, ज्यादा दिन तक चल नहीं पायेगा। लगता है यह अब सच होने जा रहा है। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार पर उस समय संकट मंडराया था जब उद्धव कैबिनेट का विस्तार हुआ था। शिवसेना ना संजय राउत से लेकर कई बड़े कोंग्रेसी नेता नाराज दिखे थे।

उद्धव ठाकरे छोड़ेंगे सीएम का पद, इस नेता ने इस्तीफे के पीछे बताई ये बड़ी वजह

महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के मंत्रियों के बीच बंगले और विभागों को लेकर खींचतान थमने का नाम नहीं ले रहा है।पूर्व कांग्रेसी सांसद यशवंतराव गडाख ने दोनों पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि यह जारी रहता है तब उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस और एनसीपी वाले बंगले और मंत्रिपद के लिए ऐसे ही काम को प्रभावित करते रहे तो सीएम उद्धव इस्तीफा देने को मजबूर हो जाएंगे।

ये है विवाद की असली वजह

महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी की गठबंधन सरकार है। गठबंधन की सरकार पर कांग्रेस के पूर्व सांसद यशवंत राव गडाख ने निशाना साधा है।

गडाख ने कहा कि अगर कांग्रेस और एनसीपी के मंत्री विभागों और बंगलों के आवंटन जैसे मुद्दों को लेकर सरकार के कार्यों में बाधक बनते रहे तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मजबूर होकर पद से इस्तीफा देना पड़ेगा।

शिवसेना खुद इस बात को स्वीेकार कर चुकी है कि मंत्री पद को लेकर इस गठबंधन की सरकार में खींचतान हो रही है। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के विस्तार में 36 मंत्रियों को शामिल किया गया था। हालांकि मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या अब 43 हो गई है जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।

खबरों के अनुसार विभिन्न दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात के बाद मंत्रियों के विभागों के आवंटन को अंतिम रूप दिया था और सभी मुद्दों को सुलझा भी लिया गया था।

कांग्रेस कृषि और सहकारिता जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित कोई भी विभाग न मिलने के कारण नाराज है। मंत्रिमंडल में विभागों और बंगलों के बंटवारे को लेकर मंत्रियों में नाराजगी है।

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