सिख बाइक चालकों को लगा बड़ा झटका, अदालत ने दिया फैसला

सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हेलमेट वाहन चालक की ही नहीं दूसरों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। धार्मिक आधार पर हेलमेट पहनने से कोई छूट नहीं दी जा सकती।

बर्लिन। आपने शायद ही कभी पगड़ी पहने हुए किसी सिख को बाइक या दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट लगाते देखा होगा। भारत ही नहीं दुनिया के कई और देशों में भी पगड़ी पहनने वाले सिखों को हेलमेट लगाने से छूट दी गई है। हालांकि, अब एक देश ने सिखों को हेलमेट पहनने में दी गई छूट खत्म कर दी है। उस देश की सर्वोच्च अदालत ने सिखों के लिए दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया है।

भारत में भी पगड़ी पहनने वाले सिखों को दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट लगाने से छूट प्रदान की गई है। भारत के अलावा पाकिस्तान, यूनाइटेड किंगडम (यूके), अमेरिका (यूएस), कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में सिखों को हेलमेट पहनने से छूट मिली हुई है।

अब तक सिखों के हेलमेट न पहनने की छूट जर्मनी में भी थी। हालांकि, अब जर्मनी के लाइपजिग शहर में स्थित सर्वोच्च अदालत ने दोपहिया वाहन चलाने वाले सिखों को मिली ये छूट खत्म करने का आदेश दिया है। जर्मनी की सर्वोच्च अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चार जुलाई को आदेश दिया कि दोपहिया वाहन चलाने वाले पगड़ीधारी सिखों को भी वाहन चलाने समय हेलमेट लगाना जरूरी होगा।

2013 में हुआ था सिख का चालान
जर्मनी में सिखों के हेलमेट पहनने का ये मामला वर्ष 2013 में जर्मनी के दक्षिण में स्थित कोंस्टास शहर हुए एक सिख के चालान से जुड़ा हुआ है। यहां पर एक सिख को बिना हेलमेट, पगड़ी पहनकर मोटरसाइकल चलाने की अनुमति नहीं दी गई थी। हेलमेट न पहनने पर उसका चालान काट दिया गया था। उसने इस फैसले के खिलाफ प्रशासनिक मामलों की सर्वोच्च अदालत में एक अपील दायर की थी।

याचिकाकर्ता का तर्क
सर्वोच्च अदालत में याचिकाकर्ता ने दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट लगाने से छूट मांगी थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि हेलमेट पहनने से उसकी धार्मिक स्वतंत्रता का हनन होता है। वह सिख धर्म को मानता है और इस धर्म के अनुसार पगड़ी पहनना उसका कर्तव्य है। मालूम हो कि सिख धर्म में पांच चीजों को धारण करना अनिवार्य किया है। इसमें पगड़ी के साथ कड़ा, कृपाण, कंघा, केश भी शामिल हैं।

अदालत ने दिया ये तर्क
याचिका पर सुनवाई करने के बाद सर्वोच्च न्यायलय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हेलमेट की अनिवार्यता सिर्फ वाहन चालक की सुरक्षा के लिए ही नहीं है, बल्कि दूसरों की सुरक्षा के लिए भी है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को धार्मिक स्वतंत्रता में कटौती स्वीकार्य करनी होगी। ऐसा न करना दूसरों के अधिकारों का हनन हो सकता है। जज ने कहा हेलमेट न पहनने वाले व्यक्ति की अगर किसी दुर्घटना में मौत होती है या वह गंभीर रूप से घायल होता है तो उसे देखकर दूसरे लोग भी ट्रामा (सदमे) का शिकार हो सकते हैं। साथ ही हेलमेट पहनने से दूसरों की सुरक्षा भी सुनिश्चि होती है।

अदालत ने सुनाया ये फैसला
याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हेलमेट पहना हुआ बाइक चालक दुर्घटना की स्थिति में दूसरों की भी मदद कर सकता है या खुद दुर्घटनाग्रस्त होने पर फोन कर मदद बुला सकता है। कोर्ट ने कहा किसी भी व्यक्ति को बाइक पर हेलमेट लगाने से छूट के बारे में तभी सोचा जा सकता है, जब दोपहिया वाहन के बिना उसका काम नहीं चल सकता हो। इस मामले में याचिकाकर्ता के पास बाइक के अलावा वैन और कार का भी लाइसेंस है। अगर दोपहिया वाहन चलाते हुए हेलमेट लगाने पर याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं तो वह कार या वैन का भी इस्तेमाल कर सकता है। लिहाजा हेलमेट से छूट के बारे में सोचा ही नहीं जा सकता।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*