दिल्ली में ‘एक के साथ एक फ्री’ शराब के शौकीनों की चांदी

दिल्ली में शराब पर मिल रहे भारी डिस्काउंट से पीने वालों की चांदी हो गई है वहीं अब शराब विक्रेताओं के लिए एक दिक्कत हो गई है। एक पेटी के साथ दूसरी पेटी फ्री जैसे जबरदस्त ऑफर के कारण दिल्ली के ज्यादातर ठेकों पर सस्ती कीमत की शराब के स्टॉक में कमी हो गई है।

नई दिल्ली में शराब की बिक्री पर चल रहे जबरदस्त डिस्काउंट की वजह से अब सस्ती शराब की कमी होने लगी है। इसमें 360 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक के बीच मिलने वाली अलग-अलग ब्रैंड की शराब का स्टॉक कम हो गया है। इससे कई डिस्काउंट के बावजूद ग्राहकों के मनमुताबिक शराब की बोतल नहीं मिल पा रही।

पंजाब और यूपी चुनाव का असर भी दिल्ली में शराब के स्टॉक में कमी आने के रूप में हुआ। लेकिन, अब पंजाब में चुनाव खत्म होने के बाद वहां की फैक्ट्रियों से दिल्ली में शराब आना शुरू हो गया है। पिछले दिनों इसमें कुछ कमी आ गई थी। शराब दुकानदारों का कहना है कि शराब के अलग-अलग ब्रैंड पर डिस्काउंट तो अभी चल रहा है। लेकिन, पिछले दिनों एक पेटी के साथ दूसरी पेटी फ्री जैसे जबरदस्त ऑफर ने दिल्ली के अधिकतर ठेकों पर सस्ती कीमत की शराब के स्टॉक में कमी ला दी है।

हालांकि, शराब कारोबारियों का कहना है कि नई एक्साइज पॉलिसी के तहत दिल्ली में जब से शराब की खरीद पर डिस्काउंट देना शुरू किया गया है, तब से सेल में जोरदार उछाल आया है। दिल्ली के कस्टमर ने गुड़गांव जाना पूरी तरह बंद कर दिया है। उन्हें दिल्ली में ही कई जगह गुड़गांव से भी सस्ती शराब खरीदने के विकल्प मिल रहे हैं। लेकिन यह भी सही है कि इस तरह से 50 फीसदी तक दिया जा रहा डिस्काउंट का यह खेल लंबे वक्त तक नहीं चल सकेगा।

नई एक्साइज पॉलिसी के चलते कई ब्रैंड्स की शराब काफी सस्ती हो गई है। सूत्रों के अनुसार, कुछ ठेकों पर एमआरपी पर 40 प्रतिशत तक डिस्काउंट मिल रहा है। कई दुकानें ‘एक के साथ एक फ्री’ का ऑफर भी दे रही हैं। दिल्ली में इससे पहले शराब पर इतनी छूट कभी नहीं दी गई थी। नई पॉलिसी के तहत, दिल्ली सरकार ने शराब के रेट की अधिकतम सीमा तय कर रखी है। ठेकों को इससे कम पर ही शराब बेचनी है, ज्यादा पर नहीं। शराब की दुकानों के बीच कॉम्पिटीशन बढ़ गया है। नतीजा, ग्राहकों की बल्ले-बल्ले हो गई है।

दिल्ली में शराब के रेट इतने कम होने का नतीजा है कि ठेकों के बारे लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। कई जगह भीड़ कंट्रोल करने के लिए पुलिस तैनात की गई है। शराब के लिए लाइनों में मजदूरों की संख्या भी अच्छी-खासी है। इससे व्यापारियो में नाराजगी है। उनका कहना है कि कई मजदूर दुकान और फैक्ट्रियां छोड़कर शराब के ठेकों पर लाइन में लगे रहते हैं, जिससे बाजार का कामकाज प्रभावित हो रहा है।

दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के खिलाफ बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने तो मोर्चा खोल ही रखा है। व्यापारिक संस्था फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स असोसिएशन (फेस्टा) ने भी सस्ती दरों पर मिल रही शराब का विरोध जताया है। फेस्टा के वाइस चेयरमैन परमजीत सिंह पम्मा ने कहा कि दिल्ली में शराब की सेल बढ़ाने के लिए आकर्षक ऑफर निकाले जा रहे हैं। ठेकों के बाहर लंबी कतारें लग रही हैं। दुकानों और फैक्ट्रियों के मजदूर कामकाज छोड़कर दिनभर शराब लेने के लिए ठेकों के बाहर लाइनों में खड़े हैं। इससे व्यापारियों को भी मजदूरों की समस्या हो रही है। जगह-जगह ठेके खुलने से ट्रेडर्स में नाराजगी बढ़ रही है।

फेस्टा के प्रेजिडेंट राकेश यादव ने कहा कि सरकार डिस्काउंट ऑफर्स पर अंकुश लगा सकती है। आगामी निगम चुनाव और होली के मद्देनजर लोग शराब की बोतलें खरीद रहे हैं। ऐसे लोग भी शराब परचेज कर रहे हैं, जो खुद नहीं पीते। ये त्योहार या खास मौकों पर अपने मित्रों और संबंधियों को गिफ्ट करेंगे। यह परंपरा ठीक नहीं है।

 

वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतपाल सिंह मंगा और उपाध्यक्ष पवन खंडेलवाल ने कहा कि सस्ती शराब से घर बर्बाद होंगे। फेस्टा के महामंत्री राजेंद्र शर्मा ने कहा कि दिल्ली में जगह-जगह शराब के ठेके खुल रहे हैं। इससे समाज में अपराध बढ़ने की आशंका है। महिलाओं की सुरक्षा भी जोखिम में पड़ सकती है। रिहायशी एरिये के साथ धार्मिक स्थलों और स्कूलों के आस-पास भी ठेके खुले हैं।

नई शराब नीति के तहत शहर को 32 जोन में बांटा गया है जिससे शराब का समान वितरण रहे। हर वॉर्ड में दो दुकानें खोलने की बात कही गई है।नई नीति के तहत 849 दुकानें खोलने की इजाजत दी गई है, जिसमें से 564 खुल चुकी हैं। अगले कुछ दिनों में 134 दुकानें और खुल जाएंगी। नई एक्साइज पॉलिसी में स्टोर्स को अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए गिफ्ट और डिस्काउंट्स देने की छूट दी गई है। आईजीआई एयरपोर्ट पर डोमेस्टिक सेक्शन में स्टोर्स अब नए विकल्प के तौर पर उभरेंगे। पॉलिसी के मुताबिक डोमेस्टिक और इंटरनेशनल टर्मिनलों पर 10 स्टोर खोले जा सकते हैं।

ऐसे में कोशिश की जा रही है कि दिल्ली में इस तरह से शराब की बिक्री की जाए, ताकि दिल्ली में गुड़गांव के ठेकों से महंगी शराब ना बेची जाए। इस बात पर विचार किया जा रहा है कि अगर तमाम लिकर वेंडर्स में आपसी सहमति बनती है तो दिल्ली की शराब की तमाम दुकानों पर गुड़गांव जैसी कीमत पर ही शराब बेची जाए। इसमें भी भारतीय शराब से कहीं अधिक विदेशी शराब पर डिस्काउंट दिया जाए तो अच्छा होगा।

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