सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: यमुना में नहीं बहाए जाएंगे फूल

मथुरा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मथुरा और वृंदावन में चढ़ने वाले फूल बाद में विधवा महिलाओं के आश्रम को दे दिए जाएं, इसे यमुना या कचरे में न डाला जाए। इससे बेसहारा विधवा महिलाएं अगरबत्ती या धूप बनाकर कमा सकेंगी और यमुना में भी प्रदूषण नहीं होगा। कोर्ट ने देश के दूसरे शहरों में भी ऐसी योजना लागू करने पर विचार करने का निर्देश दिया है।
पिछले 7 फरवरी को कोर्ट ने राज्यों के रवैये पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि आप लोग कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे हैं, इसलिए कोर्ट ने सभी राज्यों को विस्तृत योजना देने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया था कि वे विशेषज्ञ समिति को अपने सुझाव भेजें और एक्शन प्लान पर अपना हलफनामा दाखिल करें।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
पिछले 30 जनवरी को कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि अब बहुत हो गया, आप की जिम्मेदारी है कि आप इनके लिए कुछ करें। हर कोई अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहता है, और काम न करने का इल्ज़ाम दूसरे पर डालता है। लेकिन काम कोई नहीं करना चाहता। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि कोर्ट अगर कुछ आदेश देता है तो इल्जाम लगता है कि कोर्ट देश चला रहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो सभी राज्य सरकारों से विधवा महिलाओं के पुनर्वास के मामले में जानकारी इकट्ठा करें और एक्शन प्लान तैयार कर कोर्ट को सौंपें।
‘राज्य सरकार लिखकर दें कि वो काम नहीं करना चाहती’
कोर्ट ने कहा था कि मामले में कोई भी गंभीर नहीं दिख रहा है, ऐसे में राज्य सरकारें कोर्ट को लिखकर दे दें कि वो काम नहीं करना चाहती। 6 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने विधवाओं के आश्रय और पुनर्वास के लिए दिए गए उसके दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने पर 12 राज्यों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। जिन राज्यों ने आदेश का पालन किया था लेकिन अधूरी सूचना दी थी, उन पर सुप्रीम कोर्ट ने एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।
इन राज्यों पर लगाया जुर्माना
जिन राज्यों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। उनमें उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मिजोरम, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि जिन विधवाओं की उम्र कम है, उनके पुनर्विवाह के बारे में योजना बनाए। कोर्ट ने विधवा कल्याण के रोडमैप पर एतराज जताते हुए कहा कि विधवा महिलाओं से बेहतर खाना जेल के कैदियों को मिलता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी कैसे हो सकती है। उनके विधवा होने पर उनका परिवार कैसे छोड़ सकता है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*