PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि: 7 साल की उम्र में सन्यासी बन गए थे स्वामी विश्वेश तीर्थ, सामाजिक कार्यों से भी जुड़े थे स्वामी

कर्नाटक में स्थित पेजावर मठ के स्वामी विश्वेश तीर्थ का निधन हो गया है. वे 88 साल के थे. पेजावर मठ उडुपी के ‘अष्ट’ मठों में से एक है. वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक गुरुओं में से एक, 88 वर्षीय स्वामी जी को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के चलते कुछ दिन पहले मनिपाल स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था और रविवार सुबह उनका निधन हो गया. वे पेजावर मठ के 33वें प्रमुख थे.

पीएम मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘उडुपी के श्री पेजावर मठ के श्री विश्वेश तीर्थ स्वामीजी उन लाखों लोगों के दिलो-दिमाग में बने रहेंगे, जिनके लिए वह हमेशा मार्गदर्शक की भूमिका में रहे हैं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अध्यात्म और सेवा के शक्तिपुंज थे और उन्होंने अधिक न्यायपूर्ण और करुणामय समाज के लिए लगातार काम किया.

सात साल की उम्र में बन गए थे सन्यासी

विश्वेश तीर्थ का जन्म 1931 में शिवली माधव ब्राह्मण परिवार में हुआ था. सन्यास से पहले उनका नाम वेंकट था. साल 1938 में महज सात साल की उम्र में ही उन्होंने सन्यास धारण कर लिया था. उनके गुरु थे श्री भंडारकेरी मठ के विद्यामान्य तीराथु. बाद में विश्वेश तीर्थ पेजावर मठ के विश्वप्रसन्न तीर्थ बने. स्वामी तीर्थ हिंदू धर्म के द्वैत सिंद्धांत के उपासक थे और कृष्ण भक्त थे. उन्होंने 1954 में कर्नाटक के उदूपी जिले में पहली पर्याय (मठ से जुड़ी एक धार्मिक क्रिया) किया था. इसी साल उन्होंने उदूपी में माधव कॉन्फरेंस भी आयोजित की थी. इसी तरह उन्होंने साल 1968 में दूसरी बार भी पर्याय किया था. उन्होंने अपने जीवन में पांच बार पर्याय हासिल किया.

सामाजिक कार्यों से भी जुड़े थे स्वामी

स्वामी जी कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे. उन्होंने अपने जीवन में कई सामाजिक और शैक्षिक सुधारों की शुरुआत की. स्वामी जी द्वारा शुरू किए अखिल भारत माधव महा मंडल सेंटर ने अब तक न जाने कितने गरीब छात्रों की मदद की है. माधव महा मंडल के कई हॉस्टल पूरे कर्नाटक में फैले हुए हैं. इन हॉस्टल्स में गरीब छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है. और सामान्य छात्रों से भी बेहद सामान्य फीस वसूल की जाती है. उन्होंने कई जगह पर अपने मठ के केंद्र स्थापित किए. अपने सामाजिक कार्यों की वजह से स्वामी विश्वेश तीर्थ को राष्ट्रीय संत के रूप में भी पहचान मिली.

माधवाचार्य ने की थी मठ की स्थापना

स्वामी विश्वेशतीर्थ जिस मठ से जुड़े थे उसकी स्थापना संत माधवाचार्य ने की थी. 13वीं सदी में संत माधवाचार्य ने उदूपी जिले में श्रीकृष्ण मंदिर की स्थापना की थी. उन्होंने 8 मठों की स्थापना की थी जिसमें से एक पेजावर मठ भी है. इस मठ से स्वामी विश्वेश तीर्थ भी जुड़े हुए थे. माधवाचार्य वैष्णव संत थे और द्वैत सिंद्धांत के मानने वाले थे. माधवाचार्य की वजह से धीरे-धीरे उदूपी दक्षिण भारत में कृष्ण भक्ति के केंद्र के रूप में विकसित हुआ था. कर्नाटक का यह जिला सैलानियों के बड़े केंद्र के रूप में विख्यात है.

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