तालिबान: गांव—गांव विरोधियों को ढूंढकर उतारा जा रहा मौत के घाट, ऐसे चलेगी तालिबान की सरकार

काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार अपने विरोधियों को सख्ती से कुचल रही है। गांव-गांव जाकर विरोधियों को ढूंढकर मौत के घाट उतारा जा रहा है। ऐसा नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स का सपोर्ट करने वाले twitter पेज ने बयां किया है। जबकि taliban के समर्थन में बना पेज talib Times कहता है कि लड़कियों को पढ़ने की पूरी आजादी है, लेकिन उन्हें इस्लाम के हिसाब से हिजाब पहनना होगा। इस बीच विरोधियों की न्यूज कवर वाले दो मीडियाकर्मियों को बेरहमी से टॉर्चर करने का मामला दुनियाभर में तूल पकड़ गया है। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें शेयर करके तालिबानी सरकार की असलियत दिखाई जा रही है।

Afghanistan crisis, the shocking picture of the human right violation  in the Taliban government

अफगानिस्तान में कार्यवाहक सरकार बनने के बाद तालिबान के बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी मीडिया The New York Times के अनुसार, तालिबान में कार्यवाहक कैबिनेट बनते ही उसके सहयोग पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी तनाव बढ़ गया है। अफगानिस्तान में भी जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। यह तस्वीर उस मीडियाकर्मी की है, जिसे तालिबान ने हिरासत में लेकर कोड़े मारे थे। इसे और इसके साथी को घंटों बंद करके पीटा गया। ये काबुल में चल रहे विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे थे।

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यह तस्वीर है पत्रकार नेमातुल्लाह नकदी, (Left) और तकी दर्याबी की। ये काबुल में तालिबान की हिरासत से रिहा होने के बाद अपने कार्यालय पहुंचे थे। इन्हें विरोधियों के प्रदर्शन करने पर बेरहमी से पीटा गया था।

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यह तस्वीर काबुल में नॉर्वे के दूतावास की है। ये तस्वीरें ईरान में नॉर्वे के राजदूत सिगवाल्ड हाउगे ने tweet की थीं। इसमें कहा गया कि तालिबान ने दूतावास को अपने कब्जे में लेकर बच्चों की किताबें, सीडी आदि तोड़ दिए। बता दें कि तालिबान पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अफगानिस्तान में शरिया कानून चलेगा।

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यह पुरानी तस्वीर नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स(NRF) का सपोर्ट करने वाले twitter पेज ने Panjshir_Province शेयर की है। ये हैं अहमद शाह मसूद। सोवियत संघ के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाले शाह की 9 सितंबर, 2001 में हत्या कर दी गई थी। अब इनके बेटे अहमद मसूद तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।

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Panjshir_Province पेज पर लिखा गया कि पिछले कुछ दिनों में हुए जनसंहार के बाद अब घर से सैकड़ों परिवार कूच कर रहे हैं। क्योंकि तालिबान घर-घर, गांव-गांव तलाश कर युवकों की हत्या करने लगता है। सच तो यह है कि हम अपनी आजादी के लिए लड़ते रहेंगे। दुनिया में क्या गलत है? इस बर्बर तालिबान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता!

Panjshir_Province पेज पर अहमद शाह की एक पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा गया कि शुरुआत में अहमद शाह मसूद ने स्वतंत्रता में विश्वास करने वाले कुछ लोगों के साथ सोवियत के खिलाफ युद्ध शुरू किया, अब उनके लाखों अनुयायी हैं। उन्होंने इसे शुरू किया, हम उनका रास्ता जारी रखेंगे और हम तालिबान के आतंकवादियों के खिलाफ अपने प्रतिरोध के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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Panjshir_Province पेज पर अहमद शाह को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा गया-शानदार रणनीतिकार, करिश्माई छापामार, जिसे पंजशिर के शेर के रूप में जाना जाता है। चतुर उत्तरजीवी, तालिबान और अल-कायदा दोनों के प्रतिद्वंद्वी अहमद शाह मसूद की 20 साल पहले, 9 सितंबर, 2001 को हत्या कर दी गई थी।

तालिबान को सपोर्ट करने वाले twitter पेज Talib Times लिखता है कि अफगानिस्तान की नई इस्लामी सरकार ने अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा को पूर्ण स्वतंत्रता दी है। पख्तिया में सरकार का कहना है कि लड़कियों को शिक्षित करने में कोई बाधा नहीं है और वे इस्लामी हिजाब पहनकर अपनी शिक्षा जारी रख सकती हैं।

जबकि यह तस्वीर कमेला नवरोज़ी(Kamela Nawrozie) नामक यूजर ने twittter पर शेयर करते हुए लिखा-पश्चिमी काबुल में सैयद उल शाहदा नामक छात्रा को सही तरीके से हिजाब न पहनने पर तालिबान ने पीटा। तालिबान की बर्बरता से एक बच्ची की मौत हो गई।

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