68 साल बाद टाटा की हुई एयर इंडिया, 43 हजार करोड़ का कर्जा है, सरकार ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। देश की एयरलाइन्स एअर इंडिया की बोली को टाटा संस ने जीत लिया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने टाटा संस की बोली को मंजूर कर लिया है। टाटा ग्रुप ने स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह से ज्यादा बोली लगाकर करीब 68 साल बाद एअर इंडिया को फिर से अपने ग्रुप में शामिल कर लिया है।

दिसंबर से टाटा ग्रुप के पास होगी एयर इंडिया
करीब 68 साल पहले एअर इंडिया टाटा ग्रुप के पास ही थी। इस बिड को जीतने के बाद दिसंबर तक एअर इंडिया फिर टाटा ग्रुप को सौंप दी जाएगी। लंबे समय से भारी भरकम कर्ज के नीचे दबी सरकारी एयरलाइंस कंपनी एयर इंडिया को बेचने की प्रोसेस चल रही थी। विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि 15 सितंबर की अंतिम तारीख नहीं बदली जाएगी।

 

सरकार ने पहले 2018 में एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी की थी, लेकिन उस समय इसके लिए कोई खरीदार ही नहीं मिला और फिर इसे पूरी तरह बेच देने की कवायद शुरू की गई की गई थी। एयर इंडिया पर कुल 43 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। एअर इंडिया को 1932 में टाटा ग्रुप ने ही शुरू किया था। टाटा समूह के जेआरडी टाटा इसके फाउंडर थे। वे खुद पायलट थे। तब इसका नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदी।

क्या बंद हो जाएगी एयर इंडिया
सरकार ने संसद में एक सवाल का जवाब में बताया था कि अगर एयर इंडिया का प्राइवेटाइजेशन नहीं किया जाता है, तो उसे बंद करना पड़ेगा। इसके परिचालन के लिए फंड कहां से आएगा। इस समय एअर इंडिया फर्स्ट क्लास असेट है। ऐसे में इसे खरीदार आसानी से मिल जाएंगे।

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