प्रेम के रंग में डूब गयो मन, धन्य भए वृन्दावन आकर

यूनिक समय, वृन्दावन । कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक (कुम्भ मेला) के यमुना किनारे स्थित संस्कृति ग्राम के सांस्कृतिक पंडाल में श्रद्धाल काव्य रसों में सराबोर होते रहे । सारथी संस्था द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन सबरस नाइट में विभिन्न स्थानों से आये कवियों ने हास्य-व्यंग की रचनाओं से खूब गुदगुदाया । श्रंगार और वीर रस की कविताओं पर भी बेशुमार तालियाँ बजती रहीं । मुख्य अतिथि महावन सर्किल की एसडीएम दीक्षा जैन, जिला पर्यटन अधिकारी डी.के. शर्मा आदि ने मां सरस्वती के चित्रपट पर माल्यार्पण के बाद दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया ।

इटावा से आये कवि कुमार मनोज ने गालन राधे को नाम लिखाकर, बाँकें बिहारी के दर्शन पाकर…, प्रेम के रंग में डूब गयो मन, धन्य भए वृन्दावन आकर. कविता से कुम्भ में उठती भक्ति की हिलोरों को प्रर्दशित किया ।

ओज कवि अमित शर्मा ने श्रोताओं में वीर रस का संचार करते हुये युवा देश का जब रण में अपनी ताकत तौलेगा, चप्पा-चप्पा इस धरती का वदें मातरम बोलेगा..कविता सुनाई । मेरठ से आई कवियत्री तुषा शर्मा ने वक्त के साथ जो मुश्किल कोई टल जायेगी…रचना पढ़ी । हास्य कवि सबरस मुरसानी ने शादी जो करी तुझ जैसी से, मैं कितना अकल का कच्चा था.. जैसी रचनाओं से श्रोताओं को हंसाया । हास्य कवि पदम अलबेला एवं कवियत्री तुषा के बीच हास्य-व्यंग की नोंकझोंक पर भी पाण्डाल में खूब ठहाके लगे । कवि विनोद पाल एवं कर्नाटक के शायर संजय कुशेकर ने भी अपनी रचनायें सुनाईं । इससे पूर्व गोपाल ब्रजवासी एंड ग्रुप ने भजन संध्या में मधुर भजनों से समां बांध दिया । चिव मफतलाल अग्रवाल एवं कोषाध्यक्ष्य उमेश चन्द्र गर्ग ने आभार व्यक्त किया ।

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