स्वामी स्वरूपानंद के अंतिम दर्शन के लिए हजारों भक्त पहुंच रहे

एक दिन पहले रविवार दोपहर तीन बजे ब्रह्मलीन हुए द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा। उन्हें मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में सोमवार 4 बजे हिंदू परंपरा के अनुसार भू समाधि दी जाएगी। शंकराचार्य के अंतिम दर्शन के लिए उनकी पार्थिव देह आश्रम के गंगा कुंड स्थल पर रखी गई है। इसिलए समाधि से पहले जगतगुरु के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की तादाद में भक्त झोतेश्वर आश्रम पहुंच रहे हैं।

बताया जा रहा है कि संत की भूसमाधि के वक्त उनके दर्शन के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ-साथ कई मंत्री और विधायक झोतेश्वर आश्रम पहुंच सकते हैं। इसके अलावा भारी संख्या में दूसरे मठों के साधु-संत भी पहुंचने लगे हैं। इस दौरान पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर व्यवस्था बनाएं रखने लिए मौजूद हैं।

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और विधायक जयवर्धन सिंह सुबह करीब 11 बजे- जगतगुरू के समाधि स्थल पर पहुंचे। जहां उन्होंने शंकराचार्य के किए अंतिम दर्शन किए। इस मौके पर कमलनाथ ने कहा-शंकराचार्य जी देश हित में हमेशा अपनी बात बेवाकी से रखते थे। उनकी बात को सुना भी जाता था। उनका इस तरह से जाना, बहुत बड़ी क्षति है। हमे भी उनका मार्गदर्शन हमेशा मिला

वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सुबह 11 बजे शंकराचार्य के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचने वाले थे। लेकिन उनके कार्यक्रम में बदलाव हुआ है। वह अब भोपाल से 11.45 बजे झोतेश्वर के लिए रवाना होंगे।

बता दें कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पूरे देश में लाखों अनुयायी हैं, उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्त आश्रम पहुंच रहे हैं। जिसे देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। वहीं भीड़ को देखते हुए आश्रम से 2 किलोमीटर पहले झोतेश्वर गांव के प्रवेश द्वारा पर ही प्रशासन ने ट्रैफिक को रोक दिया है।

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम पोथीराम उपाध्याय था। 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो उत्तर प्रदेश के काशी पहुंचे और ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से शास्त्रों की शिक्षा ली। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था। स्वामी स्वरूपानंद आज से 72 साल पहले यानी 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे। ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे। उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।

 

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