उद्धव और आदित्य ठाकरे इस झूठ की वजह से बुरी तरह फसे, अब जाना पड़ सकता जेल?

उद्धव और आदित्य ठाकरे
उद्धव और आदित्य ठाकरे

जहां एक तरफ सुशांत सिंह राजपूत मामले को लेकर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र आदित्य ठाकरे दोनों देश की जनता के निशाने पर हैं और जनता द्वारा दोनों पर ही कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं वहीं अभी तक यह मामला निपटा भी नहीं था कि उद्भव ठाकरे और उनका बेटा दोनों एक ऐसे नए मामले में घिरते हुए नजर आ रहे है जिससे दोनों के लिए नई मुश्किल पैदा हो गई है। सीएम उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बेटी सांसद सुप्रिया सुले के लिए आने वाले समय में नई मुसीबत खड़ी हो सकती है। ऐसा इसलिए,

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क्योंकि चुनाव आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी कि CBDT से ठाकरे और सुप्रिया सुले के खिलाफ प्राप्त उन शिकायतों की जाँच करने को कहा है, जिनमें उन पर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए अपने हलफनामे में गलत जानकारी साझा करने का आरोप लगाया गया। जानकारी के अनुसार यह शिकायत एक आरटीआई कार्यकर्ता की तरफ से दर्ज कराई गई हैं जिसमें बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की तरफ से दायर किए गए हलफनामों में कुछ गंभीर विसंगतियाँ सामने आई हैं.

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कार्यकर्ता ने अपनी दर्ज कराई अपनी शिकायत में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के डेटा में विरोधाभास का हवाला दिया है। एक जो बड़ी विसंगति सामने आई है वो ये है कि आदित्य के चुनावी हलफनामे में बैंक खाते का गायब होना, जिसका उल्लेख उद्धव के हलफनामे में किया गया था। उद्धव के हलफनामे में पत्नी रश्मि ठाकरे और बेटे आदित्य ठाकरे का बैंक ऑफ महाराष्ट्र में ज्वाइंट अकाउंट की जानकारी दी गई है. इसमें 9 लाख 52 हजार 568 रुपए जमा होने की बात कही गई है. हालाँकि, विधानसभा चुनाव के दौरान सौंपे गए आदित्य के शपथ पत्र में इस अकाउंट का उल्लेख नहीं था. कार्यकर्ता ने ये भी आरोप लगाया कि दोनों ठाकरे के पास HUF यानी कि Hindu Undivided Family कैटेगरी के तहत शेयर रखने की तारीखें भी अलग-अलग थीं.

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रिपोर्ट के मुताबिक, CBDT जाँच के अग्रिम चरण में है और ये अगले 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप सकता है. फिलहाल सीबीडीटी की रिपोर्ट का इंतजार है, अगर सभी आरोप सही पाए जाते हैं, तो सीबीडीटी की ओर से आर पी एक्ट की धारा 125 ए के तहत मामला दर्ज कर सकता है. इस सेक्शन के तहत अधिकतम छह महीने की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है. ये सजा उन उम्मीदवारों को दी जाती है, जो या तो चुनावी हलफनामे में पूरी जानकारी नहीं देते हैं या फिर झूठी जानकारी देते हैं. यानी कि साफ है सुशांत सिहं राजपूत केस में चारों तरफ से घिरे बाप बेटे अब बुरे फंसने वाले हैं.

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