उन्नाव दुष्कर्म मामलाः इस विधायक ने कानून का बनाया मजाक

नई दिल्ली। उन्नाव दुष्कर्म कांड (Unnao Case) ने एक बार फिर देश में कानून और न्यायपालिका की दयनीय स्थिति को उजागर कर दिया है। जून 2017 में यूपी के एक गांव से किशोरी का अपहरण हुआ। 10 दिन बाद पुलिस उसे खोज सकी। उसने पुलिस को बताया कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सहित कुछ लोगों ने उसके साथ सामुहिक दुष्कर्म किया है।

बावजूद पुलिस ने विधायक का साथ देते हुए चार्जशीट में उसे बचा लिया। दुष्कर्म के कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ये स्पष्ट कर चुकी है कि ऐसे केस में पीड़िता का बयान ही किसी को आरोपी बनाने और अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त आधार है। बावजूद उन्नाव केस में विधायक को आरोपी बनवाने के लिए पीड़िता को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।

इसके बाद विधायक ने पीड़िता और उसके परिवार का मुंह बंद कराने को इतनी आपराधिक साजिशें रचीं कि उसका पूरा परिवार तबाह हो गया। पीड़िता के पिता की जेल में हत्या कर दी गई। 28 जुलाई को एक गंभीर सड़क दुर्घटना में उसकी मौसी और चाची की भी मौत हो गई। पीड़िता और उसका वकील अस्पताल में जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे हैं। इस दुर्घटना के पीछे भी विधायक का हाथ होने का आरोप है। दुष्कर्म के इस मामले ने सुप्रीम कोर्ट को भी झकझोर दिया।

उन्नाव दुष्कर्म मामले में कब क्या हुआ
02 अगस्त 2019- सुप्रीम कोर्ट ने रायबरेली की जेल में बंद पीड़िता के चाचा को दिल्ली की तिहाड़ जेल में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। उन्होंने यूपी की जेल में जान का खतरा बताया था। उन्नाव प्रशासन ने दो वर्ष बाद मामले के तूल पकड़ने और सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद आरोपी विधायक के शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए।
01 अगस्त 2019- सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म कांड से जुड़े सभी पांच मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के जज दिनेश शर्मा को प्रतिदिन केस की सुनवाई करने का आदेश दिया। 45 दिन में केस की सुनवाई पूरी करनी होगी। सीबीआई को एक सप्ताह में जांच पूरी करने के आदेश। भाजपा ने आरोपी विधायक को पार्टी से निकाला।
31 जुलाई 2019- CJI ने पीड़िता के पत्र पर संज्ञान लिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल को पत्र के बेंच के समक्ष प्रस्तुत होने में हुई देरी की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
30 जुलाई 2019- पीड़िता द्वारा CJI को लिखा गया पत्र सामने आया।
29 जुलाई 2019- सड़क दुर्घटना मामले में रायबरेली के गुरुबख्शगंज थाने में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, उसके भाई मनोज सिंह सेंगर, विनोद मिश्र, हरिपाल सिंह, नवीन सिंह, कोमल सिंह, अरुण सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, रिंकू सिंह, वकील अवधेश सिंह सहित 15-20 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाते हुए आईपीसी की धारा- 302, 307, 506 व 120बी के तहत हत्या, जानलेवा हमला, जान से मारने की धमकी और आपराधिक साजिश का केस दर्ज।
28 जुलाई 2019- रायबरेली के गुरुबख्शगंज थाना क्षेत्र में ट्रक व कार की टक्कर में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत। पीड़िता और कार चला रहे उनके वकील गंभीर रूप से घायल हुए।
18 जुलाई 2019- पीड़िता का पत्र काफी सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में प्राप्त हुआ, लेकिन इसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के संज्ञान में नहीं लाया गया।
12 जुलाई 2019- पीड़िता की तरफ से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई को पत्र लिख, आरोपी विधायक और उसके लोगों की तरफ से पूरे परिवार की जान को खतरा बताया गया।
04 जुलाई 2019- पीड़िता के चाचा को 19 साल पुराने एक मामले में कोर्ट ने 10 साल के कारावास की सजा सुनाई। खास बात ये है कि 19 साल पुराने ये केस आरोपी विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर की तरफ से दर्ज कराया गया था। अतुल भी उन्नाव दुष्कर्म केस में मुख्य आरोपी है।
18 अगस्त 2018- दुष्कर्म मामले के मुख्य गवाह यूनुस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत।
13 जुलाई 2018- दुष्कर्म मामले में सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट दायर की। इसमें विधायक के अलावा उसके भाई अतुल सिंह सेंगर और तीन पुलिसकर्मियों समेत पांच अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया।
11 जुलाई 2018- सीबीआई ने दुष्कर्म मामले में चार्जशीट दायर की, जिसमें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भी आरोपी बनाया गया।
17 मई 2018- जेल में बंद पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए।
08 मई 2018- सीबीआई ने विधायक के खिलाफ सबूत पेश किया। इसके बाद उसे उन्नाव से सीतापुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।
02 मई 2018- इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीबीआई ने सीलबंद लिफाफे में पूरे केस की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
19 अप्रैल 2018- सरकार ने अपनी फजीहत होती देख विधायक की वाई श्रेणी की सुरक्षा और घर पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को हटा दिया।
14 अप्रैल 2018- नौकरी के बहाने पीड़िता को विधायक से मिलाने वाला शशि सिंह भी गिरफ्तार कर लिया गया।
13 अप्रैल 2018- सीबीआई ने सुबह चार बजे दुष्कर्म मामले में आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को हिरासत में लिया। लंबी पूछताछ के बाद शाम को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
09 अप्रैल 2018- जेल में पीड़िता के पिता हालत दिन-पर-दिन खराब होती गई और आखिरकार उन्होंने जेल में ही दम तोड़ दिया। पुलिस पर जेल में पीड़िता के पिता को प्रताड़ित करने का आरोप लगा तो उसने दबाव में विधायक के भाई को गिरफ्तार कर लिया।
04 अप्रैल 2018- मारपीट मामले में पुलिस ने विधायक के दबाव में पीड़िता के पिता के खिलाफ ही संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर जेल भेज दिया। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस ने फर्जी मुकदमा दर्ज किया था।
03 अप्रैल 2018- आरोपी विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर ने साथियों संग पीड़िता के पिता पर मारपीट कर जानलेवा हमला किया।
22 फरवरी 2018- नाबालिग संग दुष्कर्म मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आरोपी बनाने के लिए पीड़िता की तरफ से जिला अदालत में याचिका दायर की गई। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर विधायक को भी दुष्कर्म मामले में आरोपी बनाया गया।
30 अक्टूबर 2017- विधायक की तरफ से पीड़िता और उसके परिवार के खिलाफ मांखी थाने में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया गया।
22 जुलाई 2017- पीड़िता ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिख इंसाफ की गुहार लगाई। पीड़िता ने इस पत्र में बताया कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उसके साथ दुष्कर्म किया है।
01 जुलाई 2017- कोर्ट में दिए पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने सामुहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज कर कोर्ट में चार्जशीट दायर की। हालांकि इसमें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आरोपी नहीं बनाया गया था।
22 जून 2017- पीड़िता ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में तीन लोगों पर उसके साथ सामुहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया।
21 जून 2017- दस दिन बाद पुलिस अपहृत किशोरी का पता लगा सकी। पुलिस ने उसे बरामद कर परिवार को सौंप दिया।
11 जून 2017- नाबालिग के अपहरण में पीड़ित परिवार की शिकायत पर दोनों युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज।
04 जून 2017- उन्नाव दुष्कर्म की नाबालिग पीड़ित का गांव के ही दो युवकों शुभम और अवधेश ने अपहरण किया।

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