शोक की लहर: लीजेंडरी एक्टर जगदीप सुपुर्दे-ख़ाक, नम आंखों से परिवार ने दी अंतिम विदाई

अंतिम विदाई
अंतिम विदाई

नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकार और कॉमेडियन जगदीप को आज (गुरुवार) मुंबई के मझगांव स्थित शिया कब्रिस्तान में सुपुर्दे-ख़ाक कर दिया गया। इस मौक़े पर परिवार और दोस्तों ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी। लगभग 60 दशक के शानदार करियर में जगदीप ने हिंदी सिनेमा में कई अहम भूमिकाएं और फ़िल्में कीं।

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अपनी कॉमेडी से दुनिया को हंसाने वाले जगदीप बुधवार (8 मई) रात क़रीब 8.30 बजे सबको रोता हुआ छोड़कर चले गये। 81 साल के जगदीप को उम्र की वजह से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें थीं। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार दोपहर को किया गया। जगदीप के पार्थिव शरीर को कंधा देने कई दोस्त और शुभचिंतक पहुंचे। बेटे जावेद जाफरी और नवेद जाफरी ने अपने कंधे पर पिता को कब्रिस्तान पहुंचाया। जावेद के बेटे मीज़ान भी अपने लीजेंडरी दादा को अंतिम विदाई देने पहुंचे।

वेटरन एक्टर जॉनी लीवर ने जगदीप को याद करते हुए ट्वीट किया- यह रिश्ता टूटे ना मेरी पहली फ़िल्म थी और पहली बार कैमरे का सामना किया था, जिसमें लीजेंड जगदीप भाई मेरे साथ थे। आपको मिस करेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। परिवार के लिए हमारी संवेदनाएं। जॉनी लीवर जगदीप के अंतिम दर्शनों के लिए भी पहुंचे।

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जगदीप ने अपने करियर में 250 से अधिक फ़िल्मों में काम किया था। हिंदी सिनेमा की माइलस्टोन फ़िल्म शोले में उनके किरदार सूरमा भोपाली ने उन्हें इस नाम से मशहूर कर दिया। हिंदी सिनेमा में एक दौर में कॉमिक कलाकारों की एक अहम भूमिका होती थी। कुछ तय कलाकार होते थे, जो यह किरदार निभाते थे।

ऐसे कलाकारों में जगदीप प्रमुखता से शामिल रहे। ख़ास बात यह है कि जगदीप की अदाकारी का अपना एक अलग स्टाइल था। उनकी भाव-भंगिमाएं, संवाद बोलने का तरीका उनको दूसरों से अलग करता था। जगदीप ने अपना फ़िल्मी करियर बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट बीआर चोपड़ा की फ़िल्म अफसाना से शुरू किया था।

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अब दिल्ली दूर नहीं, मुन्ना, आर-पार और दो बीघा ज़मीन में उन्होंने बतौर बाल कलाकार काम किया। हम पंछी एक डाल के फ़िल्म के लिए जगदीप को ख़ूब तारीफ़ मिली। पंडित जवाहर नेहरू ने उनके काम से ख़ुश होकर अपनी निजी छड़ी उन्हें तोहफ़े में दी थी।

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