वृंदावन: बांके बिहारी जी की विग्रह का यह रहस्य जान कर हैरान हो जाएंगे

shri-banke-bihari-ji-vrindavan

वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का काले पत्थर का एक विग्रह है। इस विग्रह के प्रकट होने की कथा अद्भुत है।

माना जाता है कि यह विग्रह निधिवन से प्राप्त हुआ था। निधिवन वह स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा ने रास लीला किया था।

इनसे गीत सुनने आते श्री कृष्ण

bake bihari vrindavan krishna2

मान्यता है कि आज भी इस वन में नियमित राधा कृष्ण का मिलन होता है। इसलिए यह वन हमेशा से कृष्ण भक्तों के लिए आदरणीय रहा है।

संगीत सम्राट तानसेन के गुरू हरिदास भी ऐसे ही कृष्ण भक्तों में शामिल हैं जो निधिवन कृष्ण की आराधना किया करते थे। ऐसी मान्यता है कि इस वन में बैठकर हरिदास जी गायन करते तो श्री कृष्ण उनके सामने आकर बैठ जाते और झूमने लगते।

राधा के संग प्रकट हुए श्री कृष्ण

bake bihari vrindavan krishna3

एक दिन इनके एक शिष्य ने कहा कि आप अकेले ही श्री कृष्ण का दर्शन लाभ पाते हैं, हमें भी सांवरे सलोने का दर्शन करवाएं। इसके बाद हरिदास जी श्री कृष्ण भक्ति में डूबकर भजन गाने लगे।

राधा कृष्ण की युगल जोड़ी प्रकट हुई और अचानक हरिदास के स्वर में बदल गये और गाने लगे ‘भाई री सहज जोरी प्रकट भई, जुरंग की गौर स्याम घन दामिनी जैसे। प्रथम है हुती अब हूं आगे हूं रहि है न टरि है तैसे।। अंग अंग की उजकाई सुघराई चतुराई सुंदरता ऐसे। श्री हरिदास के स्वामी श्यामा पुंज बिहारी सम वैसे वैसे।।’

बांके बिहारी का विग्रह प्रकट हुआ

bake bihari vrindavan krishna4

श्री कृष्ण ने हरिदास जी से कहा कि हम दोनों आपके साथ ही रहेंगे। हरिदास जी ने कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं तो संत हूं। आपको लंगोट पहना दूंगा लेकिन माता को नित्य आभूषण कहां से लाकर दूंगा।

भक्त की बात सुनकर श्री कृष्ण मुस्कुराए और राधा कृष्ण की युगल जोड़ी एकाकार हो गई और एक विग्रह रूप में प्रकट हुई। हरिदास जी ने इस विग्रह को बांके बिहारी नाम दिया।

बांके बिहारी मंदिर में इसी विग्रह के दर्शन होते हैं। कहते हैं इस विग्रह के दर्शन मात्र से साक्षात राधा और कृष्ण के दर्शनों का फल प्राप्त होता है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*