मां मरिअम्मा मेले में क्यों देते हैं ऐसी अग्निपरीक्षा?

अपने भगवान, कुलगुरु या अपनी देवी मां को खुश करने के लिए हर समाज के लोग प्रयास करते हैं। जालंधर की काजी मंडी में कई वर्षों से मां मरिअम्मा जी का वार्षिक मेला धूमधाम से मनाया जाता है। इस मेले की खात बात है कि व्रत रखने वाले सैकड़ों भक्त नंगे पांव अग्नि परीक्षा देते हैं, जिसके लिए मां मरिअम्मा मंदिर के समक्ष ही अग्निकुंड बनाया जाता है।

दहकते हुए अंगारों पर नंगे पांव चलते हुए श्रद्धालु अपनी अग्निपरीक्षा दे रहे थे। इस दौरान एक महिला का अग्नि परीक्षा देते समय पैर डगमगा गया और वह अग्निकुंड में दहकते अंगारों पर गिर गई, जिसे तुरंत सेवादारों और लोगों ने बाहर निकाला व प्राथमिक उपचार दिया गया। जानकारी के अनुसार इस बार भी पांच फुट चौड़े और 20 फुट लंबे अग्निकुंड को तैयार किया गया था।

अग्निकुंड में दहकते अंगारों की तपिश बर्दाश्त करना मुश्किल था। देवी मां के भक्त इसी अग्निकुंड में नंगे पैर चल रहे थे। इस दौरान कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए अग्निकुंड के पास सेवादार तो तैनात रहते ही हैं, साथ ही वहां पर पानी का भी पूरा प्रबंध किया जाता है। जैसे ही कोई भक्त दहकते अंगारों पर डगमगाने लगता है तो सेवादार उसे संभालते हुए बाहर निकाल लेते हैं।

इस दौरान एक महिला भक्त अग्नि परीक्षा देने के लिए अग्निकुंड में नंगे पांव उतरी तो बीच रास्ते में अचानक उसका पैर डगमगाने से वह दहकते अंगारों पर गिर गई। महिला के गिरते ही सेवादारों ने अग्निकुंड में उतरकर बड़ी मुश्किल से उसे कुंड से बाहर निकाला और प्राथमिक उपचार दिया गया। गिरने से महिला के मुंह व पेट का कुछ हिस्सा जल गया। इसके बाद महिला श्रद्धालु को उसके परिजन घर लेकर चले गए। इलाका पार्षद पल्लनी स्वामी ने कहा कि महिला का नाम तो किसी को पता नहीं है, मगर वह एकदम ठीक है।

गोद में बच्चे उठाकर आग पर चलते श्रद्धालु
मां मरिअम्मा के वार्षिक मेले में व्रत रखने वाले भक्त ही अग्नि परीक्षा देते हैं। जिन भक्तों की देवी मां मनोकामना पूरी करती हैं वो भक्त अपने बच्चों को गोद में उठाकर अग्नि परीक्षा देने के लिए अग्निकुंड में उतरते हैं। इस बार भी पुरुषों और महिलाओं के अलावा बच्चों ने अग्नि परीक्षा दी।

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