ट्विटर ने एक बार फिर भारत का गलत नक्शा दिखाया, जम्मू—कश्मीर और लद्दाख को अलग देश दिखाया

नई दिल्ली। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने एक बार फिर भारत का गलत नक्शा दिखाया है। अपनी वेबसाइट पर ट्विटर ने जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग देश बताया है।पिछले साल भी ट्विटर ने जम्मू और कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर नहीं दिखाया था। सरकार के सूत्रों ने कहा है कि ट्विटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले 12 नवंबर को सरकार ने लेह को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की जगह जम्मू कश्मीर के हिस्से के रूप में दिखाने के लिए ट्विटर को नोटिस जारी किया था। ट्विटर की ओर से यह गलत नक्शा उस वक्त दिखाया गया है जब नये सोशल मीडिया नियमों को लेकर यह साइट सरकार के निशाने पर है। सरकार ने ट्विटर पर जानबूझकर इन नये नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया है और उसकी आलोचना की है।

समाचार लिखे जाने तक भारत सरकार की ओर से अब तक ट्विटर को कोई नोटिस नहीं जारी की गई है. हालांकि जानकारों का मानना है कि अगर कोई नोटिस जारी होता है और अगर ट्विटर सुधार नहीं करता है तो संभावित विकल्पों में भारत में ट्विटर तक पहुंच पर प्रतिबंध लगाने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 69 ए के तहत कार्रवाई शुरू करना शामिल हो सकता है। साथ ही, आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के तहत, सरकार एक प्राथमिकी दर्ज कर सकती है, जिसमें छह महीने तक के कारावास का प्रावधान है।

अंतरिम शिकायत अधिकारी ने दिया इस्तीफा
इससे पहले भारत में नियुक्त किए गए ट्विटर के अंतरिम शिकायत अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नये सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत भारतीय यूजर्स की शिकायतों पर कार्रवाई के लिए प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों में शिकायत अधिकारी की नियुक्ति जरूरी है। भारत में ट्विटर की ओर से नियुक्त किए गए अंतरिम शिकायत अधिकारी धर्मेंद्र चतुर ने पद से इस्तीफा दे दिया है।

सोशल मीडिया कंपनी की वेबसाइट पर अब चतुर का नाम नहीं दिख रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ के लिए दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली 2021 के तहत मंचों को अपनी वेबसाइट पर उक्त आधिकारी का नाम और संपर्क का पता देना जरूरी है। ट्विटर ने घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

गौरतलब है कि भारत में सोशल मीडिया के नये नियम 25 मई से लागू हो गए हैं। ट्विटर ने अतिरिक्त समय समाप्त होने के बाद भी जरूरी अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की जिसके साथ उसने भारत में मध्यस्थ डिजिटल मंचों को ‘संरक्षण के प्रावधान’ के जरिए मिलने वाली छूट का अधिकार खो दिया है।

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