योगी सरकार: श्रम अधिनियमों में किया बदलाव, अखिलेश यादव ने मांगा इस्तीफा

लखनऊ. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस  के संक्रमण के कारण प्रभावित उद्योगों को मदद देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार  ने उन्हें अगले तीन साल के लिए श्रम कानूनों में छूट देने का फैसला किया है. यूपी सरकार के इस फैसले को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव  ने हमला बोला है. उन्होंने इसे मजदूरों और गरीबों के खिलाफ किया गया फैसला बताया है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि बीजेपी सरकार ने जो किया है, इसके लिए उसे इस्तीफा दे देना चाहिए. शुक्रवार को उन्होंने सरकार के खिलाफ ट्वीट करके कानून को गरीब विरोधी बताया.

अखिलेश ने ट्वीट किया, ‘उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने एक अध्यादेश से मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम-क़ानून के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया है. यह बेहद आपत्तिजनक व अमानवीय है. श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली गरीब विरोधी भाजपा सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए.’

इससे पहले अखिलेश ने एक और ट्वीट करके वंदे मातरम से घर लाए जा रहे विदेश में फंसे लोगों के मामले में केंद्र सरकार को निशाने पर लिया था. अखिलेश ने ट्वीट किया, ‘मुश्किलों में अपना घर बहुत याद आता है, जाने दो हमको वतन…कोई हमें बुलाता है. अमीरों को विदेश से वापस लाने का रेकॉर्ड बनाने की चाह रखनेवाले अगर देश में गरीबों को भी मुफ्त में वापस लाने का रेकार्ड बनाएं तो कितना अच्छा हो.’

गौरतलब है कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए बड़े पैमाने पर कारखाने और उद्योग बंद पड़े हुए हैं. लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर यूपी आ रहे हैं. इसी क्रम में यह मसहूस किया गया है कि कोरोना का संकट कब तक रहेगा कुछ कह नहीं जा सकता है. इसलिए उद्योग, कारखानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए 38 श्रम नियमों में 1000 दिवस यानी 3 साल तक के लिए अस्थाई छूट दी गई है.

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