पाकिस्तान में तंदूरी रोटी की कीमत सुनकर होश उड़ जाएंगे!

पाकिस्तान एक दशक की सबसे विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रहा है। लाखों पाकिस्तानियों के सामने बाढ़ ने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। हजारों लोग पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए हैं, लेकिन मुनाफाखोर ‘आपदा में फायदा’ उठाने के तौर-तरीके अपना रहे हैं। रोटी की कीमत से जुड़ा यह मामला बलूचिस्तान प्रांत के सबसे बड़े शहर और कैपिल क्वेटा का है। भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ के बाद बलूचिस्तान में आटे का संकट देखा जा रहा है। इसका फायदा उठाकर तंदूर मालिकों ने न केवल तंदूरी रोटी का वजन कम कर दिया है, बल्कि प्रांतीय राजधानी में इसकी कीमत भी दोगुनी बढ़ा दी है।

आरोप है कि जिला प्रशासन और मूल्य समिति  की मिलीभगत से यह शर्मनाक काम हो रहा है। प्रशासन के पास कई शिकायतें पहुंच रही हैं, बावजूद उसने अपनी आंखें बंद कर रखी हैं और लोगों को मुनाफाखोर तंदूर मालिकों की दया पर छोड़ दिया है। लोकल मीडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि क्वेटा में 163 से अधिक तंदूर हैं, जहां नागरिक प्रतिदिन हजारों रोटियां खरीदते हैं। एक हफ्ते पहले तंदूर मालिकों ने तंदूरी रोटी का वजन घटाकर चुपचाप उसकी कीमत बढ़ा दी थी। सूत्रों का कहना है कि 320 ग्राम वजन की एक रोटी 25 रुपये की जगह 50 रुपए में बिक रही है। शहर के आसपास कुछ जगहों पर कम वजन की रोटियां 25 या 30 रुपये में बिक रही हैं।

सरकार ने सोमवार को अपना डिजिटल फ्लड डैशबोर्ड लॉन्च किया है, ताकि फंड के आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत गतिविधियों के बारे में राष्ट्र को सूचित किया जा सके। इस बीच, संघीय जलवायु परिवर्तन मंत्री सीनेटर शेरी रहमान  ने चेतावनी दी कि सिंध अभी भी एक खतरनाक स्थिति में है, क्योंकि सिंधु नदी अभी भी कोटरी बैराज में हाई फ्लड रेंज में है। इसमें 600,000 क्यूसेक से अधिक का प्रवाह है।

डैशबोर्ड को योजना मंत्री और नेशनल फ्लड रिस्पांस एंड कॉर्डिनेशन सेंटर के प्रमुख अहसान इकबाल ने लॉन्च किया। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के निर्देशों पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने और आम जनता के साथ-साथ दानदाताओं को राहत गतिविधियों और धन के वितरण के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए पोर्टल शुरू किया गया है। मंत्री ने बताया कि बाढ़ ने लगभग 33 मिलियन लोगों को प्रभावित किया है। आपदा का पैमाना इतना बड़ा था कि अगर यह किसी भी विकसित देश में हुआ होता, तो यह उनकी प्रशासनिक क्षमताओं से बड़ा होता। उनके कहने का आशय यह था कि जैसी बाढ़ पाकिस्तान में आई,अगर डेवलप्ड कंट्री में आई होती, तो प्रशासन की क्षमता फेल हो जाती।

 

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