इराक में भारतीयों की मौत की जांच को लेकर HC में अर्जी दाखिल

इराक के मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों की मौत को लेकर भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक अर्जी लगाई गई है. इसमें कहा गया है कि मौत के लिए भारत सरकार दोषी है. लिहाजा कोर्ट अपनी निगरानी में एक कमेटी बनाकर इस पूरे मामले की जांच कराए|

यह अर्जी वकील महमूद प्राचा की तरफ से लगाई गई है. महमूद प्राचा साल 2014 में ISIS की गतिविधियों का विरोध करने के लिए इराक जाना चाहते थे. साल 2014 में  जब ISIS की आतंकी गतिविधियां अपने चरम पर थीं, तब हिंदुस्तान में करीब दो लाख मुसलमानों ने मिलकर छह मुस्लिम नेताओं का एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल बनाया था|

इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल सभी सिविल सोसाइटी एक्टिविस्ट इराक जाकर वहां की सरकार की मदद से इन भारतीयों को बचाना चाहते थे, लेकिन सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इनको इराक जाने की इजाजत नहीं दी|

इस मामले में सरकार की तरफ से महमूद प्राचा को दो बार लुक आउट नोटिस भी थमा दिया गया. आजतक से बातचीत में महमूद प्राचा ने कहा कि कोर्ट में वह इस बात को भी उठाएंगे कि सरकार जिन शवों को मोसुल से लेकर आई है, उनको खोलने तक के लिए सरकार ने परिजनों को मना किया है|

इस पर मृतकों के परिजनों ने आशंका उठाई कि वो इस बात पर कैसे यकीन करें कि ये शव उनके अपने लोगों के ही हैं? हालांकि विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह का कहना है कि भारतीयों के शवों को डीएनए टेस्ट के बाद ही भारत वापस लाया गया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने आदेश दिया है कि अवशेष के ताबूत न खोले जाएं, क्योंकि उसमें कई प्रकार की गैसें हैं, जो इंसान के लिए घातक साबित हो सकती हैं. सरकार के इस आदेश के बाद मृतकों के परिजनों ने कहा कि इस आदेश के बाद उनको सरकार के ऊपर शक है. उनका कहना है कि वो इस पर कैसे विश्वास करें कि जो अवशेष मिले हैं, वो उन्हीं के परिजनों के ही हैं?

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