कृषि बिल: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल के सदस्य ने कहा सिफारिशें सार्वजनिक की जाएं, ताकि गलतफहमियां दूर हों

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल के एक सदस्य अनिल घनवट ने कृषि कानूनों को लेकर चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर पेनल की सिफारिशों को सार्वजनिक करने की मांग की है, ताकि इसे लेकर किसानों की गलतफहमियां दूर हों। घनवट में अपने पत्र में कहा कि सुप्रीम कोर्ट पैनल की सिफारिशों को खुद ही सार्वजनिक कर दे या फिर उन्हें इसके लिए अधिकृत कर दे। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून रद्द करने का ऐलान किया था।

घनवट ने पत्र में लिखा कि संसद के शीतकालीन सत्र में ये तीनों कानून रद्द हो जाएंगे। इससे पहले इन्हें सार्वजनिक कर दिया जाना चाहिए, ताकि किसानों की गलतफहमियां दूर हों। उन्होंने SC से अपील करते हुए कहा कि भारत में एक मजबूत नीति बनाई जानी चाहिए। यह भी तय हो कि किसी समुदाय के गुस्से के कारण कोर्ट का कीमती समय बर्बाद न हो। घनवट ने MSP की मांग को लेकर आंदोलन पर डटे किसान नेताओं की आलोचना की। उन्होंने कहा कि फसलों के लिए MSP की गारंटी संभव नहीं है।

तीन कृषि कानूनों को वापस करने के लिए केंद्र सरकार की कैबिनेट बुधवार को मुहर लगा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि आज केंद्रीय कैबिनेट के एजेंडे में कृषि कानून निरस्तीकरण ड्राफ्ट नहीं है। इसकी वजह से कृषि कानून के निरस्तीकरण पर कैबिनेट की मुहर नहीं लगेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए आंदोलन कर रहे किसानों से घर लौट जाने की अपील की है। दूसरी ओर किसानों का कहना है कि जब तक सरकार संसद में कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती आंदोलन जारी रहेगा। वे घर नहीं जाएंगे। इसके साथ ही किसानों ने पीएम के सामने अपनी छह मांगें भी रखी हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज पर, सभी किसानों का कानूनी हक बनाया जाए। देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी मिले।

सरकार द्वारा प्रस्तावित “विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021” का ड्राफ्ट वापस लिया जाए। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021 में किसानों को सजा देने का प्रावधान हटाया जाए।
दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है। इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए।

लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी खुले घूम रहे हैं। वह मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं। उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।

किसान आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसानों की स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंधू बॉर्डर पर जमीन दी जाए।

 

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