विघ्नहर्ता, सुखकर्ता गणपति बप्पा का आगमन आज

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी कहते हैं। मुंबई सहित देशभर में सुखकर्ता और दुखहर्ता भगवान गणेश का शुक्रवार को आगमन हो रहा है। भक्तों ने गणपति की स्वागत के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। पिछले 2 दिन से भक्त ढोल-ताशे बजाकर उल्लास के साथ अपने घर में भगवान की मूर्तियां लेकर जा रहे हैं, जिससे शुभ मुहूर्त में भगवान की स्थापना की जा सके। पंडालों में भी जमकर तैयारियां हैं। कई मंडलों ने कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए सरकार की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था की है।

आचार्य बालकृष्ण मिश्र के मुताबिक, भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसलिए मध्याह्न के समय में गणेश पूजा को सबसे उपयुक्त माना गया है। भक्तों को शुक्रवार को सुबह 11.21 बजे से दोपहर 1.33 बजे मूर्ति की स्थापना कर लेनी चाहिए। इसके अलावा, चतुर्थी तिथि रात 9.57 बजे तक होने के चलते दिनभर पूजा-अर्चना की जा सकती है।

आचार्य बालकृष्ण मिश्र के मुताबिक, भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसलिए मध्याह्न के समय में गणेश पूजा को सबसे उपयुक्त माना गया है। भक्तों को शुक्रवार को सुबह 11.21 बजे से दोपहर 1.33 बजे मूर्ति की स्थापना कर लेनी चाहिए। इसके अलावा, चतुर्थी तिथि रात 9.57 बजे तक होने के चलते दिनभर पूजा-अर्चना की जा सकती है।

मूर्ति स्थापना विधि: स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सबसे पहले चौकी पर जल छिड़क कर शुद्ध करें। चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। लाल वस्त्र पर अक्षत छिड़कें और फिर भगवान गणेश की प्रतिमा अथवा मूर्ति स्थापित करें। भगवान गणेश को स्नान कराएं। मूर्ति अथवा प्रतिमा के दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि के रूप में एक-एक सुपारी रखें। गणपति की दाई और जल का कलश रखें।

पूजन विधि: हाथ में अक्षत लेकर प्रसन्न मन से भगवान गणेश का स्मरण करें और उनका आवाहन करें कि वह घर में बिराजे और विधि-विधान से किए गए पूजन को स्वीकार करें। गणेश जी की मूर्ति को सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन, मौली आदि चढ़ाकर मंत्रोच्चार पूजन करें। जनेऊ, लाल पुष्प, दूब, मोदक, नारियल सहित आदि अन्य सामग्री बारी-बारी से चढ़ाएं।

चंद्र दर्शन से लग सकता है कलंक
आचार्य के मुताबिक, भाद्रपद के शुक्ल की चतुर्थी को चंद्र दर्शन निषेध है। इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या कलंक लग सकता है। अगर कोई गलती से चंद्रमा देख लेता है, तो उसे मिथ्या दोष से बचने के लिए निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए।

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