अस्थमा रोगियों की बढ़ रही संख्या खतरे का संकेत

बढ़ रहे प्रदूषण एवं एलर्जी के कारण अस्थमा रोगियों की संख्या बढ़ रही है। यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में परेशानी बढ़ सकती है। रोगियों को चिकित्सकों के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ेगा।

विश्व अस्थमा दिवस 2018 में कभी भी जल्दी नहीं, कभी भी देर नहीं होता है। इसकी थीम के रूप में हमेशा वायुमार्ग रोग को संबोधित करने का सही समय होता है। हर साल एक मई को दुनिया भर में विश्व अस्थमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा एक ऐसी स्थिति है, जो सांसहीनता, घरघराहट, खांसी और सीने में कठोरता का कारण बनती है। अस्थमा वाले लोग अस्थमा के सामान्य ट्रिगर्स जैसे तंबाकू, आउटडोर प्रदूषण, ठंड और फ्लू के धुएं से बचकर अस्थमा के दौरे को रोक सकते हैं। अस्थमा को सही मात्रा में, कर्टिकोस्टेरइड्स व अन्य दीर्घकालिक नियंत्रित दवाओं के साथ इनहेलर्स के उपयोग से भी रोका जा सकता है।

वातावरण में प्रदूषण मुख्य कारण

अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ.ओपी अग्रवाल ने बताया कि यह बीमारी किसी न किसी प्रकार की एलर्जी से होती है। वातावरण में प्रदूषण भी इसका मुख्य कारण है। रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। डाक्टर आशीष गोपाल एवं डॉ.कार्तिक मिश्रा के अनुसार धू्म्रपान, धूल, धुआं भी सांस रोग का कारण है। वंशानुगत भी यह बीमारी होती है।

-अस्थमा के लक्षण

-सांस फू लना, सांस लेने में परेशानी

-सीने में घुटन महसूस होना

-जल्दी जल्दी खांसी हो जाना

-सांस लेने में सीटी जैसी आवाज आना

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