छोटे गांव में जन्मी ये बेटी अमेरिका में बजा रही डंका, जो कमाती है 1.70 करोड़

जयपुर । गांव में रहने वाली लड़की केवल गांव में ही रहेगी। घर का चूल्हा चौका करेगी। राजस्थान में सालों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ दिया है सीकर जिले की रहने वाली 28 साल की लड़की कंचन शेखावत ने। कंचन शेखावत विश्व की टॉप कंपनियों में से एक अमेज़न में सॉफ्टवेयर डेवलपर के पद पर कार्य कर रही है। इतना ही नहीं कंचन कंपनी के टॉप मैनेजमेंट में भी शामिल है। भले ही कंचन अमेरिका में आज भी उनका अपनी मां की से जुड़ाव वैसा ही है जैसा पहले था।

कंचन मूल रूप से सीकर से करीब 18 किलोमीटर दूर किरडोली गांव की रहने वाली है। परिवार एक सामान्य परिवार है। लेकिन इसी परिवार की कंचन ने परिवार ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है।

कंचन शेखावत की शुरुआती पढ़ाई गुजरात में हुई है। पिता भंवर सिंह शुरुआत में गुजरात में प्लास्टिक का काम करते थे। ऐसे में पूरा परिवार गुजरात ही रहता था। यहां करीब आठवी तक पढ़ाई करने के बाद पूरा परिवार सीकर आ गया। इसके बाद कंचन ने सीकर की ही एक स्कूल में अपनी स्कूलिंग करना शुरू किया। दसवीं और बारहवीं दोनों में कंचन के 80% से ज्यादा अंक थी।

कंचन का शुरू से ही मन एक सॉफ्टवेयर डेवलपर बनने का था। इसके लिए उन्होंने सीकर में कोचिंग करना शुरू कर दिया। लेकिन जब सिलेक्शन नहीं हुआ तो वह निराश हुई। इसके बाद सीकर के प्रिंस स्कूल की चेयरमैन उनको मोटिवेट किया। यहां से फिर कंचन सीधे कोटा चली गई।

कोटा में कंचन ने आईआईटी की कोचिंग करना शुरू कर दिया। इसके बाद कंचन का मिजोरम की एक कॉलेज में सिलेक्शन हुआ। पढ़ाई पूरी करने के बाद आठ लाख के पैकेज में पोलरिस नाम की एक कंपनी में कंचन का सिलेक्शन हुआ। इस कंपनी ने कंचन को 8 लाख रुपए का पैकेज दिया था। और पोस्टिंग चेन्नई में थी। कंचन नौकरी करने के लिए चेन्नई चली गई

कंचन ने चेन्नई से ही अमेजन के लिए इंटरव्यू दिया। पहले ही प्रयास में वह सफल हो गई और आज वह अमेज़न में सॉफ्टवेयर डेवलपर के पद पर काम कर रही है। कंचन का कहना है कि जब तक कोई हारे नहीं उसे हार नहीं माननी चाहिए।

कंचन का कहना है कि वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहती थी। जिसके लिए उसने आईआईटी में दाखिले के लिए एग्जाम दिया। चयन नहीं हुआ तो मायूस हो गई थी। नेगिटिव सोच मन में आने लगी थी। लेकिन तब प्रिंस एकेडमी के निदेशक जोगेन्द्र सुण्डा व चेयरमैन डा. पीयूष सुण्डा ने हौसला बढ़ाया।

 

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