बीएसपी की मुखिया मायावती जी ने योगी सरकार पर साधा निशाना , जानिए क्या है पूरा मामला

लखनऊ । कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान में लगातार सक्रिय बहुजन समाज पार्टी की मुखिया ने केंद्र के साथ राज्य सरकारों पर जोरदार हमला बोला है। मायावती ने कहा है कि बड़े संकट की इस घड़ी में भी सरकार अमीरों के साथ खड़ी दिख रही है।

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कोरोना वायरस से दुनिया के साथ हम भी त्रस्त हैं। हमारा देश भी कोरोना के कहर से काफी पीडि़त है। अभी इसका कोई निदान न होते देख जनता काफी दुखी है। इनमें भी गरीब तथा मजदूर सबसे ज्यादा दुखी हैं। इनको तो आगे का कोई रास्ता भी नहीं दिख रहा है। अब गरीबों को रोजी-रोटी नहीं मिल रही है। इसके साथ ही प्रवासी लोग बहुत परेशान हैं।

मायावती ने कहा कि इस संकट काल में भी राज्य सरकारें गलत व्यवहार कर रही है। क्वॉरंटाइन सेंटर में रहने के साथ ही खाने की व्यवस्था नहीं की गई है। केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी हर जगह पर पूंजीवादी समर्थक रवैया अपना रही हैं।

उन्होंने कहा कि आज महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 19 प्रवासी मजदूरों की मौत की घटना बेहद दुखद है। यह काफी विचलित करने वाली घटना है। मायावती ने कहा कि इन सभी को जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो रेल की पटरी पकड़कर अपने घर जा रहे थे। रास्ते में इनको कहीं पर भी रोका नहीं गया। यह तो बड़ी लापरवाही है। इस घटना से मैं और पार्टी बहुत दुखी है। औरंगाबाद की यह घटना सरकारों की लापरवाही का बड़ा नतीजा है। मायावती ने कहा कि केंद्र के साथ ही राज्य सरकार इस घटना को गंभीरता से ले। सरकार किस दिन काम आएगी।

मायावती ने कहा कि सरकार का काम है कि प्रवासी मजदूरों को मुफ्त घर पहुंचाएं। मजदूरों से अमानवीय व्यवहार न करें। मजदूरों से क्रूरता से किराया ले रहे। केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी अमीरों के लिए दयावान सरकार बनी हैं। सरकारें अमीरों के बच्चों के लिए मेहरबान हैं। अमीरों को लाने के लिए सरकार विदेश में हवाई जहाज भेज रही हैं।

मायावती ने कहा कि हमको पता चला है कि कई प्रदेशों में फैक्ट्री वालों ने मजदूरों को निकाल दिया। इसके बाद वह बेकार होने के कारण पैदल ही घरों की ओर चल पड़े हैं। सिर्फ उनसे अनुरोध करने से काम नहीं चलेगा, जहां की कोई गरीब या मजदूर हाई-वे पर पैदल चलता दिखे, उसको वहीं पर रोका जाए और खाने-पीने के साथ ही घर तक पहुंचाने का इंतजाम किया जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार को गरीब-मजदूर नजर नहीं आ रहे हैं। मेरा मानना है कि लॉकडाउन की घोषणा करने से पहले सभी को कुछ समय देना चाहिए था। जिससे कि लोग अपने साधनों से अपने घरों तक पहुंच सकते थे। यहां तो कुछ घंटों में लॉकडाउन शुरू हो गया। जिससे किसी को भी व्यवस्थित होने के लिए समय नहीं मिला।

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