गुजरात में बीजेपी के लिए लक्की साबित हुए हार्दिक पटेल, भूपेंद्र पटेल दोबारा बनेंगे सीएम

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़कर सबको चौंकाया है। हालांकि भाजपा की वापसी को लेकर कोई संशय नहीं था, लेकिन कांग्रेस को इतना बड़ा नुकसान होगा, इसका आकलन शायद किसी ने नहीं किया होगा। भाजपा ने गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से रिकॉर्ड 156 सीटों पर जीत दर्ज की है। कुछ ऐसा ही 1985 में हुआ था, जब कांग्रेस ने 149 विधानसभा सीटें जीती थीं। लेकिन इस बार कांग्रेस को सिर्फ 17 सीटें ही मिली हैं। पहली बार गुजरात चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी को 5 सीटें मिली हैं। 12 दिसंबर को भूपेंद्र पटेल दोबारा CM पद की शपथ लेंगे। जानिए गुजरात चुनाव में पाटीदार समाज की भूमिका?

पाटीदार समुदाय जिसके एक वर्ग ने गुजरात में आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ वोटिंग की थी, 2022 के चुनावों में सत्ताधारी दल में लौट आया। गुजरात के इस प्रभावशाली सामाजिक समूह के प्रभुत्व वाली अधिकांश सीटों को भाजपा जीतने में सफल रही। भाजपा ने राज्य के पाटीदार बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। लगभग हर सीट पर जीत हासिल की है, जिसमें पटेलों की अच्छी खासी आबादी है।
182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए मतदान 1 और 5 दिसंबर को हुआ था और वोटों की गिनती 8 दिसंबर को हुई थी। सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस ने 2017 में मोरबी, टंकरा, धोराजी और अमरेली की पाटीदार बहुल सीटों पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि, ये सभी विधानसभा क्षेत्र इस बार भाजपा के पास चले गए। पाटीदार बहुल सूरत में, जहां AAP कुछ सीटों को हासिल करने के लिए पटेल कम्युनिटी पर निर्भर थी, हालांकि इन्होंने बड़े पैमाने पर सत्ताधारी दल का समर्थन किया। भाजपा ने वराछा रोड, कटारगाम और ओलपाड की पाटीदार सीटों पर बड़े अंतर से जीत हासिल की। उत्तर गुजरात में कांग्रेस ने पांच साल पहले पाटीदार बहुल उंझा सीट जीती थी, लेकिन इस बार वह भाजपा से हार गई थी।
बीजेपी ने 2022 के चुनाव से पहले पटेल समुदाय तक पहुंच बनाई। सितंबर 2021 में पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री विजय रूपानी की जगह भूपेंद्र पटेल को नियुक्त किया।

सत्तारूढ़ दल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को कांग्रेस से अपने पाले में ले आई। उन्हें वीरमगाम विधानसभा सीट से मैदान में उतारा, जहां से उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की।ज्य और केंद्रीय स्तर पर भाजपा का सबसे बड़ा कदम जिसने समुदाय को खुश किया, वह उच्च जातियों(upper castes) के बीच गरीबों (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को नौकरियों और शिक्षा में 10% कोटा दिलवाना।2017 के विधानसभा चुनाव पटेल समुदाय के लिए ओबीसी का दर्जा हासिल करने के लिए शुरू किए गए हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले कोटा आंदोलन की छाया में लड़े गए थे।2017 के चुनावों में, 182 में से 150 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद भाजपा को सिर्फ 99 सीटें मिली थीं। पाटीदार कोटा आंदोलन(Patidar quota agitation) और भाजपा के खिलाफ हार्दिक पटेल के बवंडर अभियान की बदौलत विपक्षी कांग्रेस तब 77 सीटों पर विजय हासिल करने मे सफल रही थी।
पटेल समुदाय के अनुमान के अनुसार, गुजरात में लगभग 40 सीटें ऐसी हैं जहां पाटीदार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ये सीटें राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में फैली हुई हैं।

पटेल गुजरात की आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा हैं। 2017 में 44 पाटीदार विधायक चुने गए थे, जिसने गुजरात में चुनावी राजनीति पर अपना प्रभाव दिखाया।सौराष्ट्र क्षेत्र में पाटीदार मतदाताओं की सबसे अधिक आबादी(high concentration) वाली कुछ सीटों में मोरबी, टंकारा, गोंडल, धोराजी, अमरेली, सावरकुंडला, जेतपुर, राजकोट पूर्व, राजकोट पश्चिम और राजकोट दक्षिण शामिल हैं।
उत्तरी गुजरात में विजापुर, विसनगर, मेहसाणा और उंझा सीटों में पाटीदार मतदाताओं की काफी संख्या है। अहमदाबाद शहर की कम से कम पांच सीटों-घाटलोडिया, साबरमती, मणिनगर, निकोल और नरोदा को भी पटेल बहुल क्षेत्र माना जाता है।
दक्षिण गुजरात में, सूरत जिले की कई सीटों को पाटीदारों का गढ़ माना जाता है। इनमें वराछा, कामरेज, कटारगाम और सूरत उत्तर शामिल हैं। 2022 के चुनावों के लिए भाजपा ने 41 पाटीदारों को टिकट दिया था, जो कांग्रेस की संख्या से एक अधिक था। AAP ने भी समुदाय से बड़ी संख्या में सदस्यों को टिकट भी दिया था। पटेल समुदाय को खुश रखने के लिए, भगवा संगठन ने यह भी घोषणा की थी कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को इस पद पर बनाए रखा जाएगा। चुनावों से पहले, जामनगर स्थित सिदसर उमियाधाम ट्रस्ट जो कड़वा पाटीदार संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करता है ने मांग की थी कि भाजपा कम से कम 50 पाटीदार उम्मीदवारों को मैदान में उतारे।
हार्दिक पटेल को भाजपा में लाना फायदे का सौदा साबित हुआ। वीरगाम सीट से उन्हें 99155 वोट मिले। वहीं, उनके प्रतिद्वंद्वी AAP के उम्मीदवार अमर सिंह ठाकोर दूसरे नंबर पर रहे। उन्हें 47448 वोट मिले। कांग्रेस के मौजूदा विधायक लाखाभाई भीखाभाई भारवाड़ तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें 42724 वोट मिले।

 

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