आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ खड़ा है—ट्रंप, कम करें तनाव

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका समेत दुनिया के कई बड़े देश दोनों देशों को युद्ध से बचने की सलाह दे रहे हैं। अमेरिका ने भी दोनों देशों को युद्ध से बचने की सलाह दी है। हालांकि अमेरिका ने साफ किया है कि आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में वो हर मोर्चे पर भारत के साथ है। अमेरिका ने पाकिस्तानी धरती पर पर टेरर फंडिंग के जरिए पल आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के खात्मे को लेकर भारत का समर्थन किया है। साथ ही अमेरिका दोनों देशों को युद्ध जैसी स्थिति को टालने की भी अपील की है। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से चिंता में पड़े अमेरिका ने बुधवार को परमाणु शक्ति संपन्न दोनों देशों से तनाव कम करने के लिए तुरंत कदम उठाने की अपील की है। उसने आगाह किया कि आगे से किसी भी ओर से की गई सैन्य कार्रवाई से दोनों देशों के लिए जोखिम की आशंका अस्वीकार्य रूप से बहुत ज्यादा है। वाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) के एक अधिकारी ने कहा, ‘अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है और उसने दोनों पक्षों से तनाव कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया है।’
पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने दुनिया भर में टेररिस्तान के नाम से मशहूर पाकिस्तान को सबक सिखाने का मन बना लिया है। वहीं भारत ने पहले तो मंगलवार को पाकिस्तान में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद को कई कैंपों नस्तेनाबूद कर दिया। वहीं अपने सीने पर जख्म खाने के बाद बैचेन पाकिस्तानी वायु सेना ने कल यानी बुधवार को भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की। लेकिन यहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी भारत ने उसके एक फाइटर प्लेन एफ 16 को मार गिराया। हालांकि इस अभियान में भारत का एक फाइटर प्लेन दुर्घटना ग्रस्त हो गया और इस हादसे में भारत का एक पायलट पाकिस्तान की सरजमीं पर जख्मी हालत में उतरा और पाकिस्तान ने उसे पकड़ लिया।
इन सबके बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है। आतंक के खिलाफ भारत की जंग में अब अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस भी शामिल हो गए हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने के लिए एक प्रस्ताव दिया है। हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के इस मुहिम का आतंक पस्त पाकिस्तान के दोस्त चीन के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले भी चीन सुरक्षा परिषद की इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति को 2016 और 2017 में JeM नेता मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने में अड़ंगा डाल चुका है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के इस प्रस्ताव पर फिलहाल चीन ने अपना रूख साफ नहीं किया है।

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