कर्नाटक: क्यों अहम हो गया है प्रोटेम स्पीकर का पद?

नई दिल्ली कर्नाटक के राज्यपाल ने विधानसभा में शनिवार को शक्ति परीक्षण कराने के लिए भाजपा के वरिष्ठ विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। विराजपेट से विधायक बोपैया सदन के स्पीकर रह चुके हैं। कांग्रेस-जद (एस) राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
आज संभावना यह भी है कि बहुमत साबित करने की प्रक्रिया में फ्लोर पर हंगामा हो सकता है। विधानसभा की कार्यवाही बाधित की जा सकती है। ऐसे में प्रोटेम स्पीकर की भूमिका अहम हो सकती है। प्रोटेम स्पीकर कुछ विधायकों को निष्कासित कर सकते हैं और बहुमत का आकंड़ा घट सकता है।
केजी बोपैया इससे पहले भी कर्नाटक विधानसभा के प्रो-टेम स्पीकर रह चुके हैं। लेकिन तब उनकी नियुक्ति को ले कर हंगामा नहीं हुआ था, लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग हैं और कांग्रेस को शक़ हैं कि वो शनिवार शाम को होने वाले मत-विभाजन को प्रभावित कर सकते हैं।
कांग्रेस चाहती है कि सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य कांग्रेसी विधायक आरवी देशपांडे को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाए।
कर्नाटक विधानसभा में 104 सदस्यों के साथ बहुमत के लिए जूझ रही भाजपा के विधायक केजी बोपैया के प्रो-टेम स्पीकर बनने के बाद भाजपा के विधायक दल की संख्या एक और कम हो गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भाजपा ने अपना एक विधायक कम क्यों करवाया?

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