किसान आंदोलन: ​जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर हो रहा है हंगामा, जानिए क्या है कृषि बिल

नई दिल्ली। भारी विरोध के बावजूद लोकसभा में पास होने के बाद कृषि बिल-2020 को आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का जिक्र न करने को लेकर किसान संगठनों में नाराजगी है। किसानों को आशंका है कि इन दो कानूनों की वजह से एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। आईए जानते हैं कि आखिर एमएसपी क्या है, यह कैसे तय होता है और इसे रहना क्यों जरूरी है?

समर्थन मूल्य क्यों?
केंद्र सरकार कृष‍ि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिश पर कुछ फसलों के बुवाई सत्र से पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। इससे किसानों को यह सुनिश्चित किया जाता है कि बाजार में उनकी फसल की कीमतें गिरने के बावजूद सरकार उन्हें तय मूल्य देगी। इसके जरिए सरकार उनका नुकसान कम करने की कोश‍िश करती है।

हालांकि, सभी सरकारें किसानों को इसका लाभ नहीं देतीं। इस वक्त बिहार और मध्य प्रदेश में सबसे बुरा हाल है, जहां किसानों को एमएसपी नहीं मिल पा रहा है। वैसे भी शांता कुमार समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि महज 6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है। यानी 94 फीसदी किसान मार्केट पर डिपेंड हैं।

एमएसपी तय करने का आधार
कृष‍ि लागत और मूल्य आयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है। वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर दाम तय किया जाता है।

– उत्पाद की लागत क्या है।
– फसल में लगने वाली चीजों के दाम में कितना बदलाव आया है।
– बाजार में मौजूदा कीमतों का रुख।
– मांग और आपूर्ति की स्थ‍िति।
-राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्थ‍ितियां कैसी हैं।

फसल लागत नि‍कालने के फार्मूले
ए-2: कि‍सान की ओर से किया गया सभी तरह का भुगतान चाहे वो कैश में हो या कि‍सी वस्‍तु की शक्‍ल में, बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरों की मजदूरी, ईंधन, सिंचाई का खर्च जोड़ा जाता हैं।

ए2+एफएल: इसमें ए2 के अलावा परि‍वार के सदस्‍यों द्वारा खेती में की गई मेहतन का मेहनताना भी जोड़ा जाता है।

सी-2 यह लागत ए2+एफएल के ऊपर होती है। लागत जानने का यह फार्मूला किसानों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें उस जमीन की कीमत (इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर कॉस्‍ट) भी जोड़ी जाती है जिसमें फसल उगाई गई। इसमें जमीन का कि‍राया व जमीन तथा खेतीबाड़ी के काम में लगी स्‍थायी पूंजी पर ब्‍याज को भी शामि‍ल कि‍या जाता है। इसमें कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है.

सरकार का दावा सी-2 फार्मूले पर मिल रहा एमएसपी
डबलिंग फार्मर्स इनकम कमेटी (DFI) के सदस्य विजय पाल तोमर ने कि सरकार सी2+50 प्रतिशत फार्मूले से ही फसलों का एमएसपी दे रही है। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को मोदी सरकार ने 2018 में लागू किया था। जबकि राष्ट्रीय किसान आयोग के प्रथम अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री रहे सोमपाल शास्त्री (Sompal Shastri) के मुताबिक केंद्र सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को उसकी मूल भावना के साथ लागू नहीं किया है। वो सी2+50 प्रतिशत फार्मूले से एमएसपी नहीं दे रही।

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