बलदेव के हुरंगा में छाई इन्द्रधनुषीय छटा, ‘हारे रे रसिया घर चले जीत चलीं ब्रज नारि’

चंद्र प्रकाश पांडेय
यूनिक समय, बलदेव (मथुरा)। रंंग की मस्ती से सराबोर गोपियों ने प्यार के कोड़ों से भांग की तरंग में झूमते हुए ब्रज हुरियारे ग्वालों को पीट-पीटकर नहलाया। रंगों की मार खाकर आनन्दित महसूस कर रहे गोपों ने अपने कमंडलों व बाल्टियों से गोपियों के वस्त्र रंगीन कर हुरंगा पर्व की मस्ती बिखेरी।

ब्रजराज दाऊजी महाराज के मन्दिर प्रांगण में मंगलवार को हुरंगा का संगीतमय रंग रंगीलों मन मोहक दृश्यों ने उपस्थित श्रद्घालुओं के मध्य इन्द्रधनुषी छटा बिखेरी। इन्द्रधनुषी रंगों की बौछार से उत्पन्न फाग, ठप, ढोल, नगाड़े मृदंग, मजीरा आदि से रसिक मन मचल-मचल कर गा उठा। ‘सब जग होरी या जग होरा ब्रजराज की भंग में रंग की तंरग है हुरंगा’। बलराम कुमार होरी खेलों के उद्घोष के साथ ही गोपों ने अपनी-अपनी बाल्टियों में टेसू के रंग को हौदों से भर-भर कर गोपियों पर उड़ेलना शुरू कर दिया, भंग की तरंग में मस्त गोप ब्रजनारियों की भांति कमर मटका-मटका कर और गीत व संगीत के माध्यम से फाग खेलने के लिए उत्तेजित करने लगे।

गोपों की नैन मटक्की और पिचकारी की फुआर से सराबोर गोपियां भी अपने तीखे नयनों से प्रति उत्तर देने लगी कि-ओ रसिया होरी में मेरे लगि जायगी मति मारे द्रगण की चोट

गोपियों के बिटुओं की झंकार और पायलों की कर्ण प्रिय आवाजों से उत्तेजित होकर गोप तेजी के साथ में रंग उड़ेलना शुरू कर देते हैं, और गोपियां भी भंग की तरंग से मद मस्त गोपों को घेरे बना-बनाकर उनके कपड़े फाड़ना प्रारम्भ कर दिया और गोपों के फटे हुए वस्त्रों के पोतने बनाकर टेसू के रंगों में डुबो कर गोपों पर बरसाना शुरू किया।


गोपों की नंगी पीठ पर बरसते हुए कोड़े उनकी रंगों की भूख को और बढ़ा दिया। उपस्थित संगीत समाज इस दृश्य के संदर्भ में संगीत में उदघोष किया होरी रे रसिया बरि जोरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया फिर गोपियां गाती है बाग बीते कि हरबिल पौध आम कौ सब कू देखन जाय रस बोर पर ऊडो न जाय।

हारी गोपी घर चलीं जीत चले ब्रज बाल के गोपों के उद्घोष के प्रति उत्तर में गोपियां- हारे रे रसिया घर चले जीत चलीं ब्रज नारि का उद्घोष कर ब्रजराज के हुरंगा समापन का संगीत मय इशारा किया।

कोड़ों की मार वीआईपी पर पड़ी
बलदेव (मथुरा)। हुरंगा को देखने के लिए बाहर से आए श्रद्धालु कोडों की मार खाने के लिए मंदिर परिसर की छत से हुरंगा प्रांगण में आने को आतुर हो रहे थे। तो हुरंगे में आये वीआईपी भी हुरियारिनों की कोडों की मार से बच नहीं पाये। वह मार से बचने के लिए हुरियारिनों की कोडों की मार से इधर उधर भागते दिखाई दिए।

सपरिवार शामिल हुए अधिकारी
बलदेव। हुरंगा देखने के लिए तो प्रात: से ही भीड उमड रही थी, लेकिन दोपहर को शुरू हुए हुरंगे को देखने के लिए लगभग एक घंटे पहले जनपद व मण्डलों से अधिकारी भी सपरिवार शामिल हुए।

हिचकोले खाते हुए आए श्रद्धालुु व वीआईपी
यूनिक समय, बलदेव। महावन बलदेव रोड को जिला प्रशासन व शासन में होली को मद्देनजर रखते हुए भी अभी तक रोड का निर्माण नहीं कराया गया। इससे हुरंगा को देखने के लिये बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पडा।
यही नहीं बलदेव के हुरंगा को देखने के लिए सपरिवार वाआईपी भी हिचकोले खाते हुए इस रोड से गुजरे।

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