मसीहा: लॉकडाउन में रक्तदान से इस शख्स ने बचाई 200 बच्चों की जान!

भोपाल। देश भर में लागू लॉक डाउन के दौरान लोग तरह तरह की दिक्कत में हैं. किसी का रोजगार चला गया तो कोई अपनों से दूर परदेस में रह गया। परेशान मरीज़ भी हैं जिन्हें वक्त पर इलाज नहीं मिल पा रहा। ऐसे कठिन वक्त में कुछ फरिश्ते सामने आ रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स की कहानी जिसने थैलेसीमिया से जूझ रहे करीब 200 बच्चों को नयी ज़िंदगी दी।

ऐसे ही हैं मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले निर्मल संतवानी। निर्मल लॉक डाउन लागू होने के बाद से अब तक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को ब्लड उपलब्ध कराने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। निर्मल और उनके सहयोगी लॉक डाउन के दौरान अब तक 6 कैंप लगाकर 173 यूनिट ब्लड डोनेट करा चुके हैं। इसके जरिए ग्वालियर चंबल संभाग के 200 से ज्यादा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को वक्त पर खून मिला और उनकी जान बच पायी।

निर्मल का बेटा भी पीड़ित
निर्मल संतवानी का बेटा करण संतवानी भी थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित है. निर्मल ये जानते थे कि किसी थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को ब्लड की कितनी जरूरत होती है. लिहाजा उन्होंने यह तय किया कि लॉक डाउन में कुछ भी हो जाए वह थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की मदद जरूर करेंगे.उन्होंने लोगों से संपर्क करना शुरू किया और उन्हें ब्लड डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित किया. निर्मल की अपील का असर यह हुआ कि ग्वालियर – चंबल संभाग के करीब 200 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को लॉक डाउन के इस कठिन वक्त में भी वक्त पर ब्लड मिलता रहा।

रक्तदान महादान

थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों में जन्म से पाई जाती है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को हर 15 दिन में ब्लड की जरूरत पड़ती है। यह ब्लड उन्हें तब तक दिया जाता है जब तक की उनका बोन मैरो ट्रांसप्लांट ना हो जाए। कई बार बोन मैरो ट्रांसप्लांट वक्त पर हो जाता है। लेकिन कई बार ऐसे पीड़ित बच्चों को ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार करना पड़ता है। लिहाजा तब तक उन्हें नियमित समय पर ब्लड की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों के लिए निर्मल किसी मसीहा से कम नहीं।

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