आज है गणेश चतुर्थी: अनेक रूपों में दिखे गणपति बप्पा है!

नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी पर बेंगलुरु के पुट्टेंगल्ली गणेश मंदिर के पास नारियल से गणेश भगवान की मूर्ति बनाई गई है. इस मूर्ति को बनाने में कुल 9,000 नारियल का इस्‍तेमाल किया गया है.

 गणेश चतुर्थी आज पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. देश के कई शहरों में गणपति बप्पा की भव्य और मनमोहक मूर्तियों की स्थापना की गई है. कहीं पर लम्बोदर की इको फ्रेंडली मूर्ति की स्थापना की गई है तो कहीं पर सिद्धिविनायक के पंडाल में साइंस और टेक्नोलॉजी का संदेश दिया जा रहा है. इस बार सबसे ज्यादा चर्चा बेंगलुरु के गणेश भगवान की मूर्ति की हो रही है, क्योंकि आज यानि 2 सितम्बर को गणेश चतुर्थी के साथ-साथ विश्व नारियल दिवस भी है. यही वजह है कि बेंगलुरु में गणपति बप्पा की नारियल की मूर्ति बनाई गई है.

गणेश चतुर्थी आज पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. देश के कई शहरों में गणपति बप्पा की भव्य और मनमोहक मूर्तियों की स्थापना की गई है. कहीं पर लम्बोदर की इको फ्रेंडली मूर्ति की स्थापना की गई है तो कहीं पर सिद्धिविनायक के पंडाल में साइंस और टेक्नोलॉजी का संदेश दिया जा रहा है. इस बार सबसे ज्यादा चर्चा बेंगलुरु के गणेश भगवान की मूर्ति की हो रही है, क्योंकि आज यानि 2 सितम्बर को गणेश चतुर्थी के साथ-साथ विश्व नारियल दिवस भी है. यही वजह है कि बेंगलुरु में गणपति बप्पा की नारियल की मूर्ति बनाई गई है.

 जानकारी के मुताबिक, गणेश चतुर्थी पर बेंगलुरु के पुट्टेंगल्ली गणेश मंदिर के पास नारियल से गणेश भगवान की मूर्ति बनाई गई है. इस मूर्ति को बनाने में कुल 9,000 नारियल का उपयोग किया गया है. खास बात यह है कि इस मूर्ति की ऊंचाई 30 फीट है.
जानकारी के मुताबिक, गणेश चतुर्थी पर बेंगलुरु के पुट्टेंगल्ली गणेश मंदिर के पास नारियल से गणेश भगवान की मूर्ति बनाई गई है. इस मूर्ति को बनाने में कुल 9,000 नारियल का उपयोग किया गया है. खास बात यह है कि इस मूर्ति की ऊंचाई 30 फीट है.

 कहा जा रहा है कि नारियल की इस मूर्ति को बनाने में 20 दिन लगे हैं. इसपर काम कर रहे 70 से अधिक लोगों ने इको-फ्रेंडली मूर्ति लगाई है. मंदिर को सजाने के लिए नारियल के अलावा 20 से अधिक प्रकार की सब्जियों का भी उपयोग किया गया है. मोहन राजू एक भक्त कहते हैं कि गणपति की मूर्ति स्थापित करने के लिए उन वस्तुओं का उपयोग किया गया है जो पर्यावरण के अनुकूल हैं.

कहा जा रहा है कि नारियल की इस मूर्ति को बनाने में 20 दिन लगे हैं. इसपर काम कर रहे 70 से अधिक लोगों ने इको-फ्रेंडली मूर्ति लगाई है. मंदिर को सजाने के लिए नारियल के अलावा 20 से अधिक प्रकार की सब्जियों का भी उपयोग किया गया है. मोहन राजू एक भक्त कहते हैं कि गणपति की मूर्ति स्थापित करने के लिए उन वस्तुओं का उपयोग किया गया है जो पर्यावरण के अनुकूल हैं.

 बात यदि मुंबई की करें तो लालबाग के राजा का पंडाल भी काफी आकर्षक बनाया गया है. इस बार लालबाग के राजा का पंडाल ‘चंद्रयान 2’ की थीम पर तैयार किया गया है. इस देखने से लग रहा है कि मानो भगवान गणेश चांद पर पधारे हैं. पंडाल में अं‍तरिक्षयात्रियों से लेकर अंतरिक्षयान भी नजर आ रहे हैं.

बात यदि मुंबई की करें तो लालबाग के राजा का पंडाल भी काफी आकर्षक बनाया गया है. इस बार लालबाग के राजा का पंडाल ‘चंद्रयान 2’ की थीम पर तैयार किया गया है. इस देखने से लग रहा है कि मानो भगवान गणेश चांद पर पधारे हैं. पंडाल में अं‍तरिक्षयात्रियों से लेकर अंतरिक्षयान भी नजर आ रहे हैं.

 हर बार की तरह इस बार के लालबाग के राजा की प्रतिमा बहुत ही मनमोहक है. लाल रंग के वस्त्र पहने हुए हैं और पीताम्बर रंग का दुपट्टा लिए हुए हैं. लालबाग चा राजा सोने का मुकुट धारण किए हुए हैं और उनके पास चांदी की गदा है. भगवान के दर्शन पाने के लिए यहां हर साल करीबन 5 किमी की लंबी कतार लगती है.
हर बार की तरह इस बार के लालबाग के राजा की प्रतिमा बहुत ही मनमोहक है. लाल रंग के वस्त्र पहने हुए हैं और पीताम्बर रंग का दुपट्टा लिए हुए हैं. लालबाग चा राजा सोने का मुकुट धारण किए हुए हैं और उनके पास चांदी की गदा है. भगवान के दर्शन पाने के लिए यहां हर साल करीबन 5 किमी की लंबी कतार लगती है.

 वहीं, मुंबई के श्री सिद्धिविनायक मंदिर में काकड़ आरती को देखने के लिए लोगों की दूर-दूर से भीड़ उमड़ रही है.

वहीं, मुंबई के श्री सिद्धिविनायक मंदिर में काकड़ आरती को देखने के लिए लोगों की दूर-दूर से भीड़ उमड़ रही है.

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