सरहद पार: हिन्दू—सिख लड़कियों के लिए नरक बना पाकिस्तान, हर साल जबरदस्ती निकाह!

नई दिल्ली। पाकिस्तान के लाहौर के ननकाना साहिब इलाके से गायब हुई सिख लड़की का अब तक पता नहीं चल पाया है. बताया जा रहा है कि सिख लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन कर निकाह करवाया गया है. शनिवार सुबह खबर आई कि लड़की सकुशल वापस घर लौट आई है. लेकिन लड़की के भाई ने कहा है कि उसकी बहन के बारे में अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है.

पुलिस का कहना है कि इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लड़की के भाई ने बताया है कि मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. लड़की के गायब होने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया गया है. वीडियो में एक शादी समारोह में लड़की कहती दिख रही है कि वो अपनी मर्जी से निकाह कर रही है. जबकि सिख लड़की के परिवारवालों का कहना है कि उसका जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कर निकाह करवाया गया है.

पाकिस्तान में हिंदू-सिख लड़कियों के साथ होते रहते हैं ऐसे वाकये
पाकिस्तान में इसी तरह का एक मामला इस साल मार्च में आया था. इसी साल होली के दिन सिंध प्रांत के घोटकी जिले से दो बहनें रीना मेघवार और रवीना मेघवार गायब हो गईं. दोनों लड़कियों को उनके घर से उठा लिया गया था. दोनों लड़कियों के पिता शमन अपने इलाके के पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंचे. थानेदार ने लड़कियों को ढूंढ़ निकालने का वादा तो किया लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया.

अगले दिन शमन ने अपने हिंदू रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ मिलकर विरोध प्रदर्शन किया. उसके बाद जाकर थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई. जिस दिन एफआईआर दर्ज हुई, उसी दिन पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ. वीडियों में रीना और रवीना दोनों बहनें कलमा पढ़ते हुए दिख रही थीं. वो कह रही थीं कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल कर लिया है. दोनों बहनों की गालों पर होली का रंग अभी तक लगा था.

दोनों लड़कियों का निकाह करवाया जा चुका था. सफदर अली और बरकत अली के साथ दोनों का निकाह हुआ. दोनों ही पुरुष पहले से शादीशुदा थे और उनके बच्चे भी थे. एक मदरसे में पहले दोनों लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया गया था और फिर आनन फानन में निकाह.

दोनों बहनों का ब्रेन वॉश कर करवाया गया धर्म परिवर्तन
इस वीडियो के रिलीज होने के बाद बड़ा बवाल हुआ. भारत के विदेश मंत्रालय तक ने इस पर आपत्ति जताई थी. दोनों लड़कियों के साथ जबरदस्ती किए जाने की खबरें आ रही थीं. लड़कियों के पिता शमन ने बताया कि उसकी बेटियां नाबालिग हैं, फिर उनका निकाह कैसे हो गया. इसके बाद एक और वीडियो आया, जिसमें लड़कियां खुद को 18 साल का बता रही थीं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कहा कि वो इस मामले की जांच करवाएंगे. लेकिन कुछ नहीं हुआ.

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पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ अत्याचार की ऐसी कहानी कोई नई नहीं है. खासकर सिंध इलाके में. पाकिस्तान में रहने वाले 90 फीसदी हिंदू सिंध इलाके में रहते हैं. यहां उन्हें अक्सर बहुसंख्यक मुसलमानों की नफरत का शिकार होना पड़ता है.

रीना और रवीना के मामले में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी आपत्ति जताई थी. उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय राजदूत से इस बारे में रिपोर्ट मांगी थी. मामला कोर्ट में भी गया. लेकिन अगवा करके धर्म परिवर्तन करने का ये ऐसी सोची समझी साजिश थी, जिसमें कुछ नहीं किया जा सका. दोनों लड़कियां आखिर तक अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन और निकाह की बात कबूलती रहीं.

पाकिस्तान में गरीब हिंदुओं की लड़कियों का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन हो रहा
2015 में पाकिस्तान के औरत फाउंडेशन ने साउथ एशिया पार्टनरशिप के साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल करीब 1 हजार लड़कियों का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन होता है. ये सबसे ज्यादा सिंध प्रांत के उमेरकोट, थारपारकर , मीरपुर खास, संघर, घोटकी और जकोबादा जिलों में होता है. इस इलाके के ज्यादातर हिंदू गरीब हैं. इसी का फायदा उठाकर उनकी लड़कियों का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया जाता है.

इस इलाके में दो मदरसा काफी मशहूर हैं. एक है दरगाह पीर भरचुंडी शरीफ और दूसरा दरगाह पीर सरहंदी. इन्हीं दो मदरसों में धर्म परिवर्तन का गोरखधंधा चलता है. इलाके में इन दोनों मदरसों का आंतक फैला है. मीरपुर खास, थरपारकर और उमेरकोट में धर्म परिवर्तन के सबसे ज्यादा मामले देखने में आते हैं.

पाकिस्तान में हिंदू, सिख, ईसाई, अहमदी और हाजरा जैसे समुदाय अल्पसंख्यक समुदाय में आते हैं. इन समुदायों के प्रति हिंसा के मामले साल दर साल बढ़े हैं. पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग संगठन ने इन समुदायों पर हुए हमलों पर 2017 में एक रिपोर्ट जारी की थी.

रिपोर्ट में कहा गया था कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग लगातार गायब हो रहे हैं. उनका जबरदस्ती धर्म परिवर्तन होता है. पाकिस्तान की कट्टरपंथी ताकतों से लेकर सेना तक इसका समर्थन करती हैं. एक आंकड़े के मुताबिक आजादी के वक्त पाकिस्तान में 20 फीसदी से ज्यादा अल्पसंख्यक थे. आज उनकी आबादी सिर्फ 3 फीसदी रह गई है.

2017 में दुनिया में ईसाई समुदाय की हालत को लेकर एक रिपोर्ट आई थी. उसमें 50 ऐसे देशों के नाम थे, जहां ईसाई बने रहना सबसे मुश्किल है. उस लिस्ट में पाकिस्तान का नंबर चौथा था.

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