रामचरित मानस पर विवादित बयान पर सियासी तूफान, तेजस्वी बोले- ये बीजेपी की सोची समझी साजिश

रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री के दिए गए बयान के बाद आरजेडी और जेडीयू के बीच बयानबाजी शुरू हुई बहसबाजी पर अब सूबे के डिप्टी सीएम व राजद नेता तेजस्वी यादव का बयान सामने आया है। इस पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने रविवार को कहा कि ये सब बीजेपी की एक सोची समझी राजनीतिक साजिश है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कभी उपराष्ट्रपति, कभी राज्यपाल, कभी केंद्रीय मंत्री बनाने की अफवाह फैलाई जा रही थी। इन्हीं लोगों द्वारा कभी जेडीयू को तोड़ने की साज़िश रची जा रही थी। यह सब बीजेपी समर्थित मीडिया और बीजेपी माइंडेड लोग कर रहे थे।

तेजस्वी यादव ने कहा को महागठबंधन टूटने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि अब जब से बिहार में महागठबंधन की सरकार है और महागठबंधन सरकार ने अपने एजेंडे के तहत नौकरियां देने, जातिगत जनगणना कराने का कार्य शुरू किया है वही लोग फिर से साजिश कर रहे हैं। मुख्यमंत्री और हम सब इन सभी बातों को समझते हैं और उन लोगों को पहचानते हैं। बिहार में महागठबंधन के शीर्ष नेता हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। सब जानते हैं कि जनता किसके साथ है। बिहार की जनता नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के साथ है ना की बयानवीर चर्चित नेताओं के साथ है।

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि हम सब को सभी जाति-धर्मों और ग्रंथों का सम्मान करना चाहिए। ग्रंथों और धर्म की बजाय वास्तविक मुद्दों पर बहस होनी चाहिए। धर्म को राजनीति से दूर रखना चाहिए तभी हम जनता के असल मुद्दों पर बात कर पायेंगे। मंदिर -मस्जिद, हिंदू-मुस्लिम ये सब बीजेपी और बीजेपी समर्थित मीडिया के मुद्दे हैं। चर्चा रोजी-रोटी, शिक्षा-चिकित्सा, विकास और जनकल्याण पर होनी चाहिए।

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरित मानस समेत कई ग्रंथों को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स, ये ग्रंथ नफरत फैलाने वाले हैं। नफरत देश को महान नहीं बनाएगी, बल्कि मोहब्बत देश को महान बनाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘मनुस्मृति को क्यों जलाया गया क्योंकि उसमें एक बड़े तबके के खिलाफ अनेक गालियां दी गईं। रामचरित मानस का क्यों प्रतिरोध हुआ और किस अंश का प्रतिरोध हुआ? उन्होंने कहा कि देश में समाज को जोड़ने के बजाए जाति ने तोड़ा है। इसमें मनुस्मृति, गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस और गोलवलकर लिखित बंच आफ थाट्स ने 85 प्रतिशत लोगों को सदियों तक पीछे रखने का काम किया।

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