अशोक गहलोत की सचिन पायलट के करीबियों पर सर्जिकल स्ट्राइक, गहलोत का दबदबा

अशोक गहलोत और सचिन पायलट
अशोक गहलोत और सचिन पायलट

जयपुर। राजस्थान के सियासी घमासान अभी थमा ही है कि प्रदेश में वर्चस्व की लड़ाई फिर से शुरू होने की आहट सुनाई देने लगी है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट द्वारा एक बार बगावती रुख अख्तियार करने के बाद अब सीएम गहलोत अपनी स्थिति को और मजबूत करने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में गहलोत सरकार ने सचिन पायलट के अधीन रहे पीडब्ल्यूडी विभाग में बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल किए हैं।

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राज्य सरकार ने अलग-अलग कई सूचियां जारी कर 11 अतिरिक्त मुख्य अभियंता और 122 एक्सईएन-जेईएन समेत कुल 140 अधिकारियों का तबादला कर दिया है। यह प्रशासनिक फेरबदल ऐसे समय में किया गया है जब इस विभाग में पिछले कुछ समय से तबादले बैन थे। गहलोत के इस कदम को पायलट की ताकत को और कम करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि पीडब्ल्यूडी विभाग में पूर्व डिप्टी सीएम पायलट द्वारा लगाए गए अधिकारियों पर तबादलों की गाज गिरी है चूंकि सभी कर्मियों को पायलट के कार्यकाल के दौरान ही लगाया गया था।

इसके पहले राज्य सरकार ने सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में कलेक्टर-एसपी को छोड़कर अन्य सभी विभागों के अफसर बदल दिए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक लंबे समय से कांग्रेसी विधायक पीडब्ल्यूडी विभाग में तबादले की मांग कर रहे थे। बाड़ाबंदी के दौरान विधायकों ने पायलट के करीबी अफसरों के द्वारा उनकी बातें न सुनने की भी सीएम गहलोत से शिकायत की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि सीएम अपने समर्थक विधायकों को खुश करने की कवायद के तहत पायलट के करीबियों को निपटा रहे हैं।

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बता दें कि पायलट के कांग्रेस में वापसी के बाद राजस्थान कांग्रेस को संगठित और व्यवस्थित करने के लिए पार्टी आलाकमान ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसके जरिए ही प्रदेश कार्यकारिणी में फिर से नियुक्ति की जानी है। हालांकि दोनों नेताओं के बीच उपजे तनाव खत्म होने के दावे के बाद गहलोत द्वारा पायलट के करीबियों पर किया जा रहे प्रशासनिक स्ट्राइक से लगता है कि दोनों के बीच तनाव खत्म करना इतना आसान नहीं है। कयास लगाए जा रहे हैं कि संगठन कार्यकारिणी में भी गहलोत का दबदबा रहेगा और पायलट समर्थकों को कम जगह से ही संतुष्टि करनी होगी।

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