पाकिस्तान में डूबा UK के बराबर का एरिया, फिर भयंकर बारिश-बाढ़ का खतरा

दुनिया के 5वें सबसे अधिक आबादी वाले देश पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ ने दुनियाभर को भविष्य के खतरे का संकेत दिया है। इस प्राकृतिक आपदा के पीछे ग्लोबल वार्मिंग( global warming) मानी जा रही है। पिछले 10 साल की इस सबसे भीषण बाढ़ ने पाकिस्तान को हर तरह से तोड़कर रख दिया है। इस बीच,जलवायु परिवर्तन मंत्री शेरी रहमान ने एक शिखर सम्मेलन में कहा कि राक्षसी मानसून बाढ़ ने देश की 45 प्रतिशत फसल को बहा दिया है। मुख्य रूप से सिंध में लगभग 10 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। उनके अनुमान के अनुसार, देश के लगभग 70 प्रतिशत जिले अब पानी के भीतर हैं। कुल मिलाकर, पाकिस्तान का एक तिहाई या लगभग यूके की साइज का क्षेत्र जलमग्न है। 14 जून से अब तक लगभग 1,200 मारे गए हैं। मौसम विभाग ने इस महीने और बारिश, अचानक बाढ़ आने की भविष्यवाणी की है।

पाकिस्तान में आई बाढ़ के पीछे ग्लोबल वार्मिंग  मानी जा रही है। वाशिंगटन में पाकिस्तान के अमेरिकी राजदूत मसूद खान  ने जलवायु विशेषज्ञों  का हवाला देत हुए कहा कि बाढ़ ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी हुई है और पिछली घटनाओं से कहीं अधिक विनाशक साबित हुई है। राजदूत खान ने जलवायु विशेषज्ञों के हवाले से कहा। यूएस नेशनल सिक्योरिटी एडवायजर के तौर पर दक्षिण एशिया पर अमेरिकी सीनेट पैनल( US Senate panel on South Asia) के प्रमुख जेक सुलिवन(Jake Sullivan) ने पाकिस्तान को भरोसा दिलाया कि अमेरिका इस दु:खद समय में उसके साथ खड़ा रहेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के ये दृश्य दिल दहला देने वाले हैं। गुरुवार को जेक के आफिस से जारी किए गए बयानों में मीडिया की चेतावनियों का हवाला देकर कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस अभूतपूर्व आपदा से निपटने के लिए पाकिस्तान को खुद को बचाने के लिए अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।

न्यूयॉर्क में यूएन के हेडक्वार्टर में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया कि ग्लोबली ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पाकिस्तान का योगदान नगण्य है, फिर भी वो उन उत्सर्जन के कारण हुए परिवर्तनों के सबसे घातक परिणामों का सामना कर रहा है। बता दें कि पाकिस्तान ग्लोबल कार्बन उत्सर्जन(global carbon emission) का सिर्फ 1% से भी कम उत्पादन करता है, फिर भी जलवायु संकट(climate crisis) की चपेट में आने वाले देशों में से एक है। उन्होंने चेतावनी दी कि आज यह पाकिस्तान है, कल यह दूसरा देश हो सकता है। इसलिए सभी को एकजुटता से कार्य करने और इस खतरे को दूर करने के सामूहिक तरीके खोजने की जरूरत है। इस सप्ताह की शुरुआत में बिडेन प्रशासन ने तत्काल सहायता में लगभग एक मिलियन डॉलर जारी करने के बाद पाकिस्तान को जीवन रक्षक मानवीय सहायता  में $ 30 मिलियन की घोषणा की थी।

वेदर पर रिसर्च बेस्ड स्टोरीज पब्लिश करने वाले मीडिया एक्सियोस(Axios) के क्लाइमेट और एनर्जी रिपोर्टर एंड्रयू फ्रीडमैन(rew Freedman) ने अपनी एक न्यूज में उल्लेख किया था कि इस घटना का पैमाना और गंभीरता चौंका देने वाली है। यह 2010 में देखी गई विनाशकारी बाढ़ की गंभीरता से अधिक है।

वैश्विक तापमान( global warming) में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। 1880 के बाद से धरती का टेम्परेचर लगभग एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। ग्लोबल वार्मिंग एक निरंतर होने वाली प्रक्रिया है। वैज्ञानिक आशंका जताते हैं कि 2035 तक औसत ग्लोबल वार्मिंग 0.3 से 0.7 डिग्री सेल्सियस तक और बढ़ सकती है।

बिजली कारखानों, जीवाश्म ईंधन(fossil fuel) जैसे-कोयला, नेचुरल गैस औ ऑयल के जलने से कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसें निकलती हैं यानी उत्सर्जित होती हैं। पेड़ों को काटने से भी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ जाता है। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में सूरज की गर्मी को सोखकर यानी रोककर रखती हैं। इन्हें ग्रीनहाउस गैसें कहते हैं। ये ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा रही हैं।

 

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