हिजाब विवाद में फैसला सुनाने वाले जजों को मिली हत्या की धमकी!

बेंगलुरु। हिजाब विवाद पर फैसला सुनाने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के जजों को जान से मारने की धमकी दी गई है। हाईकोर्ट के वकील उमापति को सोशल मीडिया पर धमकी भरा वीडियो भेजा गया है। इस वीडियो में कहा गया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट के जजों की हत्या झारखंड के जज की तरह कर दी जाएगी।

वीडियो में फैसला सुनाने वाले जजों और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को जान से मारने की धमकी दी गई है। वीडियो में कहा गया है कि हमें पता है कि चीफ जस्टिस मॉर्निंग वॉक करने कहां जाते हैं। बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट के जज की पिछले साल हत्या कर दी गई थी। जज सड़क किनारे मॉर्निंग वॉक कर रहे थे। इसी दौरान एक ऑटोरिक्शा ने पीछे से उन्हें जानबूझकर टक्कर मारी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

बता दें कि 15 मार्च को चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की तीन सदस्यीय बेंच ने हिजाब विवाद पर फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। स्कूलों में जो यूनिफॉर्म लागू की जाएगी, उसका पालन करना होगा। छात्र इसपर आपत्ति नहीं कर सकते हैं।

हाईकोर्ट के वकील उमापति ने जजों को जान से मारने की धमकी संबंधी वीडियो व्हॉट्सऐप पर मिलने की जानकारी पत्र लिखकर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को दी। इसके बाद पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने जजों को Y कैटेगरी की सुरक्षा देने की घोषणा की है।

पिछले साल दिसंबर में कर्नाटक के उडुपी और मांड्या के कुछ स्कूलों से हिजाब विवाद उठा था। इसने जल्द ही तूल पकड़ा और जनवरी तक पूरे कर्नाटक में फैल गया। मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेज आना शुरू किया तो हिंदू छात्रों ने भगवा दुपट्‌टा और गमछा पहनना शुरू कर दिया। इसको लेकर कई बार टकराव की स्थिति बनी। इस विवाद की गूंज पूरे देश में सुनाई दी।

मामला गरमाता देख कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी 2022 को एक आदेश जारी कर यूनिफॉर्म कोड लागू कर दिया। इस आदेश को मुस्लिम छात्राओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हिजाब का मुद्दा हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी थमा नहीं है। इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में याचिका लगाने वाली छात्राओं ने अब हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

 

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