यूएनएससी: भारतीय कूटनीति रही हावी, अकबरुद्दीन ने पाक पत्रकारों की ऐसे की बोलती बंद

नई दिल्ली। भारत ने जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला लिया है तब से ही पड़ोसी देश पाकिस्तान काफी बौखलाया हुआ है। वह भारत सरकार के जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने की बात को पचा ही नहीं पा रहा है। इसी वजह से उसने कई अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाकर मदद मांगने की कोशिश की लेकिन वह खाली हाथ रहा। अब इसी तरह उसके और उसके पक्के दोस्त चीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यूएनएससी) में शुक्रवार को उस समय मुंह की खानी पड़ी जब वह कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश कर रहे थे। यूएनएससी ने जहां कश्मीर में सामान्य हालात करने के भारत की कोशिशों की तारीफ की वहीं चीन की तमाम कोशिशों के बावजूद इस बैठक पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हो पाया। भारत की कूटनीति बंद कमरे के बाहर भी हावी रही। यूएनएससी में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने अपनी हाजिरजवाबी, तथ्यों और कूटनीतिक जवाबों से पाकिस्तानी पत्रकारों की बोलती बंद कर दी। कश्मीर पर चर्चा के बाद प्रेस कांफ्रेंस चल रही थी जिसमें पाकिस्तान के कई पत्रकार बार-बार अकबरुद्दीन से कश्मीर और मानवाधिकारों को लेकर सवाल पूछ रहे थे।

पाकिस्तानी पत्रकारों ने सवालों के जरिए भारतीय राजनयिक को घेरने की नाकाम कोशिश की। अकबरुद्दीन ने एक-एक करके उनके सभी सवालों के जवाब देकर उन्हें चुप करवा दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के एक खंड को छोड़कर बाकी सभी खंडों को हटाने का फैसला पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। कश्मीर पर लिए गए फैसले से बाहरी लोगों को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जेहाद के नाम पर पाकिस्तान हिंसा फैला रहा है। सभी मसले बातचीत से सुलझाए जाएंगे। हिंसा किसी भी मसले का हल नहीं है।’
अकबरुद्दीन ने कहा, ‘इस मसले पर बातचीत से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाना बंद करना होगा।’ उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर फैसला विकास के लिए किया गया है। हम धीरे-धीरे वहां से पाबंदी हटा रहे हैं। अकबरुद्दीन ने कहा कि उन्होंने कहा कि हम अपनी नीति पर हमेशा की तरह कायम है। आतंकमुक्त माहौल में शांति से मसले को द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाया जाएगा। पाकिस्तान के एक पत्रकार को उन्होंने बिना जवाब दिए बस हाथ मिलाकर चुप करा दिया। एक पत्रकार ने सवाल पूछते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 आपके लिए आंतरिक मुद्दा हो सकता है। जिसे टोकते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि बहुत शुक्रिया यह स्वीकार करने के लिए।

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