water crisis : नासिक में एक बर्तन भरने में लगते हैं तीन घंटे, लाइनें देखकर घबराकर मायके भाग जातीं हैं दुल्हनें

महाराष्ट्र के नासिक जिले के तिराडशेत गांव के लोग 50 सालों से पानी को तरस रहे हैं। भीषण गर्मी में महिलाओं को मीलों पैदल चलकर पानी भरने जाना पड़ रहा है। आखिर महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा और वे सड़क पर धरना देकर बैठ गईं। इस प्रदर्शन की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इस गांव में ज्यादातर मजदूर रहते हैं। एक महिला ने गुस्सा जाहिर करते हुए न्यूज एजेंसी ANI से कहा-“हमें काम पर जाने के बजाय पानी के लिए हाथापाई करनी पड़ती है।”

 

महिलाओं के प्रदर्शन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने के बाद नासिक के डीएम गंगाध्णरन डी ने कहा-“हम जल जीवन मिशन के तहत जिले में पानी की कमी से जूझ रहे गांवों को चिह्नित कर रहे हैं। पानी सप्लाई से संबंधित कार्य तेजी से चल रहा है। जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा। अभी हमने गांववालों के लिए अस्थायी व्यवस्था की है।”

नासिक के कई गांव पानी की किल्लत का सामना कर रहे हैं। गर्मियों में यहां के हालात बेहद कठिन हो जाते हैं। मई के शुरुआत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नासिक जिले के गांव दांडीची बाड़ी में भीषण जलसंकट से परेशान लोगों की तकलीफों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार और केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय को नोटिस जारी किया था। इन गांवों में स्थिति यह है कि नई दुल्हनें घबराकर अपने मायके तक लौट जाती हैं। हालात यह हो चुके हैं कि कई परिवार इस गांव में अपनी बेटियों की शादी करने से इनकार कर देते हैं।

NHRC ने हाल में अपने एक बयान में कहा था कि दांडीची बाड़ी गांव की महिलाओं को मार्च से जून तक पहाड़ी के तल तक डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाना पड़ता है। NHRC ने 2 मई को एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा था कि महिलाओं को एक बर्तन भरने में तीन घंटे तक का समय लग जाता है। कई महिलाओं को सुबह चार बजे से लाइन में लगना पड़ता है।

केंद्रीय जल आयोग ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, पिछले साल की अपेक्षा देश के 140 में से 60 बड़े बांधों का पानी घटा है। सबसे ज्यादा चिंताजनक हालात गुजरात और महाराष्ट्र के हैं। यहां पिछले साल की तुलना में इस साल गर्मियों में तीन प्रतिशत जल स्तर घटा है। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया एवं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने तालाबों को लेकर एक रिपोर्ट दी थी। इसके अनुसार बंगाल, यूपी, बिहार, उत्तराखंड और झारखंड में लगभग 38% जलाशय सूख गए। उत्तराखंड में 84%, यूपी में 41%, बिहार में 35%, बंगाल में 17% व झारखंड में 16% जलाशय भी गर्मियों में सूख गए।

 

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