मैथ की वंडर वूमन कंप्यूटर को भी हरा देती थीं, जिन पर अब फिल्म बन रही है !

नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन (Vidya Balan) देश की मैथ की वंडर वूमन कही जाने वाली शकुंतला देवी (Shakuntala Devi) के ऊपर बनने वाली फिल्म में उनकी भूमिका अदा कर रही हैं. शकुंतला देश में मैथ की ऐसी जादूगरनी कही जाती थीं, जिन्हें कितना भी बड़ा कैलकुलेशन दे दिया जाए, उसे वो सेकेंडों में इस तरह पलक-झपकते करती थीं कि लोग दंग रह जाते थे. इसी मैथ एक्सपर्ट की भूमिका निभाने वाली विद्या ने फिल्म का फर्स्ट लुक शेयर किया है.

शकुंतला देवी ने उस जमाने में मैथ की वंडर गर्ल के तौर पर तहलका मचाना शुरू किया था जब दुनिया में कंप्यूटर के बारे में कोई नहीं जानता था और ऐसे कैलकुलेटर भी तैयार नहीं हुए थे कि जो बड़ी से बड़ी संख्या का सेकेंडों में गुणा, भाग, घटाना या जोड़ना कर दें. लेकिन शकुंतला जब ये काम तुरंत जुबानी कर दिखाती थीं तो लोग चकित रह जाते थे.

किसी भी यांत्रिक सहायता के बिना जटिल गणितीय समस्याओं को सुलझाने वाली उनकी असाधारण प्रतिभा बचपन से ही सामने आने लगी थी. उन्हें ये प्रतिभा स्वाभाविक तौर पर हासिल हुई थी. इसीलिए जब कंप्यूटर का प्रचलन शुरू हुआ तो उन्हें मानव कंप्यूटर का नाम भी दे दिया गया.

पिता सर्कस के कलाकार थे
शकुंतला देवी का जन्म 4 नवंबर, 1939 को बेंगलुरु में हुआ था. शकुंतला के पिता एक सर्कस कलाकार थे. उन्होंने शकुंतला को ताश के पत्तों के जरिए गणित की दुनिया से रू-ब-रू कराया. शकुंतला में बचपन से गजब की स्मरण शक्ति थी. तीन साल की कम उम्र में ही वो गणनाओं का प्रदर्शन करने लगीं. उनकी इस क्षमता से लोग दंग रह जाते थे. उन्हें बचपन में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली थी. ताश खेलते हुए उन्होंने कई बार अपने पिता को हराया. तब पिता को बेटी की इस क्षमता के बारे में पता चला. फिर पिता ने सर्कस छोड़ शकुंतला देवी पर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करना शुरू कर दिया. इससे शकुंतला को लोकप्रियता मिलनी शुरू हो गई.


पहली बार तब सुर्खियों में आईं
शकुंतला देवी उस समय पहली बार खबरों की सुर्खियों में आईं जब बीबीसी रेडियो के एक कार्यक्रम के दौरान इनसे अंकगणित का एक जटिल सवाल पूछा गया.उसका इन्होंने तुरंत ही जवाब दे दिया. इस घटना का सबसे मजेदार पक्ष यह था कि शकुंतला देवी ने जो जवाब दिया था वह सही था जबकि रेडियो प्रस्तोता का जवाब गलत था.

दुनियाभर में मनवाया लोहा
धीरे-धीरे, कुछ वर्षों में शकुंतला की स्मरण शक्ति और कैलकुलेटिंग स्किल मजबूत होते गए. वो जटिल मानसिक अंकगणित की विशेषज्ञ बन गईं. उनकी असाधारण क्षमताओं और प्रतिभाओं का सार्वजनिक प्रदर्शन मैसूर विश्वविद्यालय और अन्नामलाई विश्वविद्यालय से शुरू हुआ. फिर दुनियाभर के संस्थानों में फैल गया.

एक कुशल गणितज्ञ होने के साथ ही वो ज्योतिष शास्त्र की जानकार, सामाजिक कार्यकर्ता (एक्टिविस्ट) और लेखक भी थीं. उन्होंने कुछ किताबें भी लिखीं-द जॉय ऑफ नंबर्स’, ‘एस्ट्रोलॉजी फॉर यू’, ‘परफेक्ट मर्डर’ और ‘द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल्स’.

पिछली सदी की तारीख और दिन पूछो, जवाब हाजिर
शकुंतला देवी कैसी भी जटिल गणितीय समस्याओं को सुलझाने में निपुण थीं. उनकी प्रतिभाओं में जटिल एल्गोरिद्म (लॉजिक) और वैदिक गणित के साथ, जोड़, गुणा, भाग, वर्गमूल और घनमूल की गणनाएं शामिल थीं. वो पिछली शताब्दी से पूछी गई तारीख के दिन और सप्ताह को बताने के लिए एक पल भी नहीं लेती थीं.

शकुंतला देवी उस समय के कुछ सबसे तेज गति वाले कंप्यूटरों को भी हरा सकती थीं. शकुंतला की अनेक उपलब्धियों के बीच, 1995 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनका नाम होना उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही.

वैवाहिक संबंध नहीं थे अच्छे
शकुंतला देवी का विवाह वर्ष 1960 में कोलकाता के एक बंगाली आईएएस अधिकारी परितोष बनर्जी के साथ हुआ. इनका वैवाहिक संबंध बहुत दिनों तक नहीं चल सका. किसी कारणवश वर्ष 1979 में वो पति से अलग हो गईं. वर्ष 1980 में वो अपनी बेटी के साथ बेंगलुरु लौट आईं. यहां वो सेलिब्रिटीज और राजनीतिज्ञों को ज्योतिष का परामर्श देने लगीं. अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में शकुंतला बहुत कमजोर हो गई थीं.
शकुंतला देवी का लंबी बीमारी के बाद हृदय गति रुक जाने और गुर्दे की समस्या के कारण 21 अप्रैल, 2013 को बेंगलुरु (कर्नाटक) में 83 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया.

शकुंतला देवी का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं था. वो पति से अलग हो गईं. बाद में उनका झुकाव ज्योतिष की ओर हुआ और एक ज्योतिषी के रूप में उन्होंने खासी धाक जमाई

उनके जिन प्रदर्शऩों से धाक जमी
जनवरी 1977 में, दक्षिणी मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी, डलास, टेक्सास में शकुंतला देवी ने केवल 50 सेकेंड में संख्या 201 की 23वीं घात/रूट (20123) का सही उत्तर ‘546372891’ निकालकर सबके होश उड़ा दिए. उन्होंने 13,000 निर्देशों वाले उस समय के सबसे तेज कंप्यूटर ‘यूनिवेक’ को भी अपने कौशल से मात दी थी, जिसने यह गणना करने में 62 सेकेंड का समय लगाया था.

18 जून 1980 को, शकुंतला देवी ने 13 अंकीय दो संख्याओं 7,686,369,774,870 तथा 2,465,099,745,779’ का गुणा मानसिक रूप से करके अपनी प्रतिभा साबित कर दी, इसके लिए इन्हें लंदन के इंपीरियल कॉलेज के कंप्यूटर विभाग में चयनित किया गया था. उन्होंने केवल 28 सेकेंड में इसका सही उत्तर 18,947,668,177,995,426,462,773,730 दिया था.

शकुंतला केवल एक मिनट के अंदर 332812557 का घनमूल बता सकती थीं.

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