मुख्य द्वार पर शुभ-लाभ क्यों लिखा जाता है? जानें वजह

shubh-labh

हिन्दू धर्म  शास्त्रों में कई ऐसी बातों का उल्लेख मिलता है जिनसे व्यक्ति तरक्की और शुभता को प्राप्त कर सकता है. उन्हीं में से एक है शुभ चिन्ह. शुभ चिन्ह मतलब शुभ-लाभ और स्वस्तिक. आपने अक्सर हिन्दू घरों के मुख्य द्वार पर शुभ-लाभ लिखा हुआ और स्वस्तिक का चिन्ह बना हुआ देखा होगा. घरों और मंदिरों में होने वाली पूजा में भी सबसे पहले स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाता है, और शुभ-लाभ लिखा जाता है. यह परम्परा कई सदियों से चली आ रही है. क्योंकि हिन्दू शास्त्रों में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है और शुभ-लाभ को भगवान गणेश की संतान माना गया है.

हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर यदि स्वस्तिक बना कर शुभ-लाभ लिखा जाए तो घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, और भगवान गणेश अपनी कृपा बनाए रखते हैं. इसके अलावा घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है. इसी के साथ घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक के साथ शुभ-लाभ सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है, और घर के आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट भी करता है. इसलिए हिन्दू धर्म को मानने वाले घरों में पूजा-पाठ से पहले भगवान गणेश का पूजन कर घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक के साथ शुभ-लाभ लिखा जाता है.

घर के मुख्य द्वार पर शुभ-लाभ लिखने से घर में शांति बनी रहती है और घर पर किसी की बुरी नज़र भी नहीं लगती. सिन्दूर या कुमकुम से शुभ-लाभ लिखने के पीछे अभिप्राय यह है कि सिन्दूर या कुमकुम महालक्ष्मी को चढ़ाया जाता है तो इससे शुभ-लाभ लिखने से महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है.

शुभ लिखने का अर्थ

शुभ-लाभ को शास्त्रों में भगवान गणेश के पुत्र माना गया है. तो इस प्रकार शुभ लिखने का अर्थ है कि हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि जिन साधनों से हमें धन और यश प्राप्त हुआ है वह स्त्रोत सदैव बना रहे.

लाभ लिखने का अर्थ

लाभ लिखने का अर्थ है कि भगवान से हम प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर की आय अथवा धन हमेशा बढ़ता रहे. श्री गणेश की कृपा से हमारा व्यवसाय या आय प्राप्ति स्रोत सदैव बढ़ते रहें. इसके अलावा स्वस्तिक का चिन्ह श्री गणेश का प्रतीक चिन्ह माना जाता है. अत: महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए घर के बाहर शुभ-लाभ लिखें और स्वस्तिक का चिन्ह अवश्य बनाएं.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*