यमुना मिशन ने धूमधाम से मनाई महाराणा प्रताप जयंती

-कंसकिले से पीएमबी पॉलीटेक्निक तक के नालों को यमुना में गिरने से रोका
-यमुना शुद्धिकरण को संकल्पित है यमुना मिशन
-यमुना की सफाई मशीनों से करा रहा है यमुना मिशन
मथुरा। सरस्वती कुंड स्थित रमणबिहारी गौशाला पर आज यमुना मिशन द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ महाराणा प्रताप जयंती मनाई गई। इस अवसर पर अनेको गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। रमण बिहारी गौशाला पर महाराणा प्रताप के चित्र पट दीप प्रज्वलित कर पुष्पाजंलि अर्पित की गई।
यमुना मिशन के संस्थापक प्रदीप बंसल ने कहा कि महाराणा प्रताप का नाम भारत के इतिहास में उनकी बहादुरी के कारण अमर है। वह अकेले राजपूत राजा थे जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। उनका जन्म आज ही के दिन यानी 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ किले में हुआ था।
यमुना मिशन संयोजक पं. अनिल शर्मा ने कहा कि भारतीय इतिहास में जितनी महाराणा प्रताप की बहादुरी की चर्चा हुई है। उतनी ही प्रशंसा उनके घोड़े चेतक को भी मिली थी। उन्होंने कहा कि चेतक कई फीट उंचे हाथी के मस्तक तक उछल सकता था।
ठा. मुकेश सिसौदिया ने कहा कि कुछ लोकगीतों के अलावा हिन्दी कवि श्याम नारायण पांडेय की वीर रस कविता चेतक की वीरता में उसकी बहादुरी की खूब तारीफ  की गई है। उन्होंने कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में चेतक अकबर के सेनापति मानसिंह के हाथी के मस्तक की ऊंचाई तक बाज की तरह उछल गया था। तब महाराणा प्रताप ने मानसिंह पर वार किया। जब मुगल सेना महाराणा के पीछे लगी थी। देवेश चौधरी ने कहा कि चेतक महाराणा को अपनी पीठ पर लादकर 26 फीट लंबे नाले को लांघ गया था, जिसे मुगल फौज का कोई घुड़सवार पार न कर सका। प्रताप के साथ युद्ध में घायल चेतक को वीरगति मिली थी।
यमुना शुद्धिकरण को संकल्पित यमुना मिशन ने सिर्फ एक ही ध्येय बना रखा है यमुना जल को कैसे शुद्ध किया जाए।  इसके लिए यमुना मिशन काफी समय से प्रयासरत भी है। यम की बहन, श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना को प्रदूषण मुक्त करने की पहल यमुना मिशन के संस्थापक प्रदीप बंसल के दिशा निर्देशन एवं अपार जनसहयोग के साथ यमुना जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए यमुना मिशन द्वारा यमुना की सफाई पोकलेन मशीन से की जा रही है। यमुना जल को प्रदूषण से बचाने की एक और अनूठी पहल यमुना मिशन द्वारा की गई है, जिसमें कंस किले से लेकर पीएमबी पॉलीटेक्निक तक के सभी नाले यमुना में मिलने से रोक दिए गए हैं।
श्री शर्मा ने कहा कि सबसे पहले सनातन धर्म है इसके बाद ही हिन्दू, मुस्लिम, सिख इसाई हैं। जब तक सनातन है तब तक ही सभी धर्म हैं जिस दिन सनातन धर्म खत्म हो गया उस दिन कुछ भी शेष नहीं रहेगा। उन्होंने सभी ब्रजवासियों, धर्मप्रेमियों एवं पत्रकारों से अनुरोध किया कि वे जाग्रत हों। जिससे यमुना जल यमुना में पुन: आ सके। उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब ब्रज में पुन: एक बार फिर यमुना की कल-कल बहती धारा आपको शीघ्र ही दिखाई देगी।
इतिहास में पहली बार ही ऐसा हो रहा है, जिसमें यमुना नदी को स्वच्छ व निर्मल बनाने के लिए इसकी सफाई में मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि यमुना को शुद्ध जल मिल सकें और ब्रज की संस्कृति को प्रदूषण से बचाया जा सके। इसी संदर्भ में आज कंस किले से लेकर पीएमबी पॉलीटेक्निक तक के सभी नाले यमुना में मिलने से रोक दिए गए हैं। नाले के पानी को डायवर्ट किया जा रहा है।
कालिन्दी के तट पर काफी मात्रा में जो वृक्षारोपण कार्य चल रहा है इसके सहारे इस पानी को अलग-अलग क्यारियों द्वारा घुमाया जा रहा है। ऐसा करने से दो फायदे हो रहे हैं एक तो ये गंदा पानी सीधे यमुना में नहीं गिर रहा है और दूसरा पेड़ पौधों पर इस पानी का कोई सीधा असर नहीं हो रहा है।
यमुना मिशन संयोजक पं. अनिल शर्मा ने कहा कि पुरातन काल की अधिकांश सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर हुआ। जल जीवन की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिये आवश्यक ही नहीं, वरन महत्वपूर्ण संसाधन है। विगत दशकों में तीव्र नगरीकरण एवं आबादी में निरंतर हो रही बढ़ोत्तरी, पेयजल आपूर्ति की मांग तथा सिंचाई जल मांग में वृद्धि के साथ ही औद्योगिक गतिविधियों के विस्तार इत्यादि ने जल-संसाधनों पर काफी दबाव बढ़ा दिया है।
एक ओर जल की बढ़ती मांग की आपूर्ति हेतु सतही एवं भूमिगत जल के अनियंत्रित दोहन से भूजल स्तर में गिरावट होती जा रही है तो दूसरी ओर प्रदूषकों की बढ़ती मात्रा से जल की गुणवत्ता एवं उपयोगिता में कमी आती जा रही है।
श्री शर्मा ने बताया कि प्रात:स्मरणीय महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 काष्र्णि गुरू शरणानंदजी महाराज की प्रेरणा से चौक बाजार स्थित गांधी पार्क से शीघ्र ही प्रारंभ होने वाले कार्यक्रम में एक दिन से लेकर एक साल तक के बच्चों को दूध मुफ्त दिया जाएगा।
इस अवसर पर यमुना मिशन के संयोजक पं. अनिल शर्मा,  मदनमोहन राजपूत, श्यामजी बंबई वाले, जे.के. चतुर्वेदी, के.डी. चतुर्वेदी, महेश पंडित, योगेश दिवाकर, उमेश पहलवान, नीरज शर्मा, अटल बिहारी, विनोद, आलोक शर्मा, सेठी, मेठी, श्रीमती गीता शर्मा, हरीश शर्मा, मुकेश ठाकुर, दाऊदयाल शर्मा, देवेन्द्र शर्मा, देवेश चौधरी, मोनू पंडित, राजीव शर्मा, गोपाल लाल, मनीष सक्सैना, हरीमोहन, लखन लाल सैनी, जगमोहन शर्मा, गोविन्द ठाकुर, सतीश ठाकुर, गीतेश शर्मा, दिनेश शर्मा, गोपाल, मौनू सैनी, ठा.मानपाल सिंह. राजू, भीम आदि उपस्थित थे।

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