योगिता गौतम हत्याकांड: पहले गोली मारी और फिर चाकू मारकर की हत्या, डॉ का कबूलनामा

योगिता गौतम हत्याकांड
योगिता गौतम हत्याकांड

आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की पीजी छात्रा डॉक्टर योगिता गौतम हत्याकांड की गुत्थी सुलझ गई है। हिरासत में लिए गए उरई, जालौन के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर विवेक तिवारी ने ही वारदात को अंजाम दिया था। विवके ने पुलिस को बताया कि योगिता ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया था और इस बात को वह बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। इसलिए वह मंगलवार को पूरी तैयार के साथ उरई से आगरा आया था।

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डॉ विवेक ने पुलिस को बताया कि उसने पहले योगिता के सिर में पीछे गोली मारी और उसके बाद चाकू से भी प्रहार किया था। खून से सना चाकू पुलिस को डॉक्टर विवेक की कार से मिल गया था। रिवॉल्वर बरामदगी के लिए एक टीम कानपुर भेजी गई है। हत्यारोपी विवेक के पिता डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हुए थे और हत्या में इस्तेमाल की गई लाइसेंसी रिवॉल्वर उनकी ही थी।

बुधवार की सुबह डौकी के बमरौली कटारा क्षेत्र में एक अज्ञात युवती का शव मिला था, जिसकी पहचान बाद में एमएम गेट स्थित नूरी गेट निवासी डॉक्टर योगिता गौतम के रूप में हुई। वह मंगलवार की शाम साढ़े सात बजे से लापता थीं। मंगलवार शाम को उन्होंने दिल्ली अपने घर बात की थी और कहा था कि विवेक तिवारी उन्हें धमकी दे रहा है। फोन के दौरान वह बहुत रो रही थीं। इस कॉल के बाद उनकी मां आशा गौतम और भाई डॉक्टर मोहिंदर कुमार गौतम मंगलवार रात ही आगरा आ गए थे। वे बुधवार को एमएम गेट थाने पहुंचे और डॉक्टर विवेक तिवारी के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था। शाम को डौकी में मिले शव की पहचान डॉक्टर योगिता गौतम के रूप में होने के बाद पुलिस ने अपहरण का मुकदमा हत्या की धारा में तब्दील कर दिया था।

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बुधवार रात 11 बजे आगरा पुलिस ने डॉक्टर विवेक तिवारी को अपनी अभिरक्षा में लिया था। आगरा पुलिस की सूचना पर उसे जालौन पुलिस ने रात करीब आठ बजे पकड़ लिया था। पहले तो विवेक तिवारी ने आगरा पुलिस को बहुत घुमाया और पल-पल अपने बयान बदले। आगरा में सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने वारदात कबूल कर ली। उसने डॉक्टर योगिता के साथ मुरादाबाद के तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया था। वह डॉक्टर योगिता से एक साल सीनियर था।

योगिता ने शादी से इनकार किया था
डॉक्टर विवेक तिवारी ने पुलिस को बताया कि वह योगिता से बेहद प्यार करता था और पिछले सात साल से उनके बीच गहरी दोस्ती थी। विवेक तिवारी के मुताबिक, “हम दोनों पहले शादी भी करना चाहते थे, लेकिन बहन नेहा की शादी न होने की वजह से मैंने बाद में शादी करने की बात कही थी। इससे योगिता को लगता था कि मैं उसे धोखा दे रहा हूं। एक साल पहले योगिता ने शादी से इनकार कर दिया था। उस समय हमारे बीच काफी झगड़ा हुआ था, लेकिन मैंने जैसे-तैसे उसे मना लिया था। बीच-बीच में हमारे बीच काफी झगड़ा हुआ करता था। कुछ दिन पहले योगिता ने बात करनी बंद कर दी थी और साफ बोल दिया था कि मैं कभी मिलने की कोशिश न करूं।”

पूरी तैयारी से आया था विवेक
योगिता द्वारा ठुकराए जाने की वजह से डॉक्टर विवेक ने उससे आखिरी मुलाकात का मन बनाया। उसने पुलिस को बताया कि वह उरई से ही पूरी तैयारी के साथ आया था। मंगलवार को दिन में उसकी योगिता से कई बार बात हुई और इन बातचीतों के दौरान उसने कहा कि मैं आखिरी बार मिलना चाहता हूँ। इसके बाद उनके बीच कोई रिश्ता नहीं रहेगा। इस पर योगिता मिलने के लिए तैयार हो गई। वह कार से आया और सीधे नूरी गेट पहुंचा। योगिता पैदल घर से बाहर आई और उसकी कार में बैठ गई। दोनों के बीच कार में झगड़ा शुरू हो गया।

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प्रतापपुरा चौराहे तक दोनों के बीच खूब गाली-गलौज और मारपीट हुई। फतेहबाद रोड आते ही उसने योगिता के जोर का घूंसा मारा। वह सिर नीचे करके बैठ गई। इसी दौरान पीछे से उसके सिर में गोली मार दी। कार को फतेहाबाद मार्ग पर चलाता गया। वह बच नहीं जाए इसलिए चाकू से भी प्रहार किया। उसके बाद शव को बमरौली कटारा में फेंककर भाग गया। रात दस बजे के आसपास योगिता की मां ने उसे फोन करना शुरू किया। वह घबरा गया और उसे लगा कि पकड़ा जाएगा। बाद में उसने यह कहकर नाटक किया कि उसकी योगिता से मुलाकात नहीं हुई थी। वह तो उरई में ही है। हत्या के बाद वह सीधे उरई लौट आया। रात में ही कार को कानपुर रखकर आया। दूसरे दिन फिर उरई आ गया। पिता की रिवाल्वर किदवई नगर, कानपुर स्थित घर में ही छिपाई है।

आगरा में इंस्पेक्टर रहे थे विवेक के पिता
डॉक्टर विवेक तिवारी के पिता वीके तिवारी आगरा के सदर, लोहामंडी थाने में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात रहे हैं। वह आगरा से ही पदोन्नति पर बाहर गए थे। डिप्टी एसपी बन गए थे। सेवानिवृत्ति के कुछ समय बाद उनका देहांत हो गया। आगरा में तैनाती के दौरान वीके तिवारी ने अपनी अलग छाप छोड़ी थी। उनकी छवि मददगार पुलिस इंस्पेक्टर की थी।

दो भाई हैं विवेक, बड़ा है इंजीनियर
विवेक तिवारी के बड़ा भाई विकास तिवारी अधिशासी अभियंता है। मां का नाम आशा तिवारी है। बहन नेहा तिवारी अविवाहित है। घरवालों को भी सपने में उम्मीद नहीं थी कि यह दिन देखना पड़ेगा। पहले पुलिस घर आती थी तो वे चाय नाश्ते का इंतजाम किया करते थे। पिता के जीते जी कभी ऐसा नहीं हुआ कि पुलिस ने किसी को पकड़ने के लिए घर में दबिश दी हो। उनके देहांत के बाद बेटे विवेक ने ऐसा दिन दिखा दिया।

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