जाकिर नाइक का इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त, ट्रिब्यूनल ने बैन को सही माना

नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम ट्रिब्यूनल ने अपने एक आदेश में जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) को गैरकानूनी घोषित करने के केंद्र के फैसले की पुष्टि की है। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि वह केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए तर्क से पूरी तरह सहमत है। उसने कहा कि रिकॉर्ड पर लाए गए सबूतों से यह भी साबित हुआ है कि जाकिर नाइक का संगठन गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त है।

ट्रिब्यूनल के कहा कि रिकॉर्ड पर जो ठाेस सबूत सामने आए हैं, उन्हें देखने के बाद हमारे पास इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को गैरकानूनी एसोसिएशन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं। ट्रिब्यूनल ने 15 नवंबर 2021 के उस नोटिफिकेशन को सही बताया जिसके जरिये पांच साल के लिए आईआरएफ (Islamic research foundation) पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी किया गया था। ट्रिब्यूनल ने कहा कि इस संगठन की गैरकानूनी गतिविधियां विभिन्न माध्यमों से चल रही हैं। यह भारत की संप्रभुता, एकता, अखंडता, सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं। यह भारत के खिलाफ असंतोष का कारण बन रही हैं। 30 मार्च 2022 को भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया था।

इससे पहले, जाकिर नाइक के संगठन IRF ने कहा था कि अधिनियम की धारा 3 के तहत फाउंडेशन को एक गैरकानूनी संघ के रूप में घोषित करने की केंद्र सरकार की कार्रवाई, पूरी तरह से मनमानी और अवैध होने के अलावा अनुचित है। यह अधिनियम के कड़े प्रावधानों का दुरुपयोग है। आईआरएफ ने यूएपीए ट्रिब्यूनल को दिए गए जवाब में कहा था कि यह दिखाने के लिए कोई भी सबूत नहीं है कि फाउंडेशन पहले कभी भी किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में लिप्त रहा है। फाउंडेशन एक रजिस्टर्ड धर्मार्थ सार्वजनिक ट्रस्ट है और शैक्षिक, नैतिक और सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देता है। यह आर्थिक विकास, स्कूलों, अनाथालयों, रिसर्च और शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों आदि की स्थापना के अलावा योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति और शैक्षिक सहायता देता है।

दरअसल, ट्रिब्यूनल ने इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) को यूएपीए के तहत “गैरकानूनी संगठन” घोषित करने के केंद्र के फैसले की पुष्टि करने के लिए याचिका में जाकिर नाइक और आईआरएफ से जवाब मांगा था। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने आईआरएफ प्रतिबंध पर फैसला सुनाने के लिए यूएपीए के तहत दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी एन पटेल की अध्यक्षता में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया था। MHA ने इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के नेतृत्व वाले एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) पर लगाए गए प्रतिबंध को और 5 साल के लिए बढ़ा दिया था। मंत्रालय ने जारी अपनी अधिसूचना में उल्लेख किया है कि यदि गैरकानूनी संघ की गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह अपनी विध्वंसक गतिविधियों को जारी रखेगा और अपने फरार कार्यकर्ताओं को सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने, राष्ट्र विरोधी भावनाओं का प्रचार करने और उग्रवाद का समर्थन करने के लिए दोबारा खड़ा करेगा। मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा था कि इस्लामिक उपदेशक नाइक के भाषण और बयान भारत और विदेशों में एक विशेष धर्म के युवाओं को आतंकवादी कृत्य करने के लिए प्रेरित करने के लिए थे।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*